Ranchi: झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा से जुड़े कर्मियों ने मंगलवार को राजभवन के बाहर नंग-धड़ंग प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध जताया। प्रदर्शनकारी कर्मियों ने स्थायी बहाली, उचित मानदेय और सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं देने की मांग रखी।

108 एंबुलेंस कर्मियों की प्रमुख मांगें

एंबुलेंस कर्मियों का कहना है कि उन्हें लंबे समय से न्यायसंगत वेतन, पीएफ, बीमा और छुट्टी की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। उन्होंने बताया कि उनसे रोजाना 12 घंटे की ड्यूटी ली जाती है, लेकिन वेतन और भत्तों को लेकर कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। छुट्टी मांगने पर प्रताड़ना और धमकी का भी सामना करना पड़ता है।

एजेंसी बदलने के बाद भी नहीं बदले हालात

वर्तमान में 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन ‘समाधान फाउंडेशन’ नामक निजी संस्था द्वारा किया जा रहा है। कर्मियों ने आरोप लगाया कि एजेंसियां बदलती रहती हैं, लेकिन कामकाजी हालात और शोषण की स्थिति जस की तस बनी रहती है। उन्होंने कहा कि कई बार ज्ञापन सौंपने के बावजूद सरकार की ओर से सिर्फ आश्वासन मिला, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं पर असर

एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल के दूसरे दिन इसका सीधा असर रांची और आसपास के जिलों के सरकारी अस्पतालों में दिखाई दिया। कई मरीजों को आपातकालीन सेवा नहीं मिल पाई और उन्हें निजी एंबुलेंस या अन्य वाहनों का सहारा लेना पड़ा। सदर अस्पताल में भी एंबुलेंस की कमी के कारण परेशानी बढ़ गई।

अन्य जिलों में भी फैल रहा विरोध

108 एंबुलेंस सेवा झारखंड के सभी जिलों में संचालित होती है। रांची की हड़ताल का असर गिरिडीह, लोहरदगा, पलामू और साहिबगंज जैसे जिलों में भी देखा जा रहा है। कई जिलों में एंबुलेंस कर्मियों ने कामकाज पूरी तरह से बंद कर दिया है।

सरकार को दी चेतावनी

एंबुलेंस कर्मचारी संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो राज्यव्यापी चक्का जाम और स्वास्थ्य सचिवालय का घेराव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक स्थायी बहाली और समान वेतनमान लागू नहीं किया जाता।

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