श्रीमती अन्नपूर्णा देवी फ़िलहाल भारत सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री हैं और झारखण्ड के कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं| भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा सीट से उम्मीदवार बनाया है|
कोडरमा में मतदान 20 मई को है सो फिलहाल चुनाव प्रचार का शोर और सरगर्मी यहाँ नहीं है| लेकिन जोड़ – तोड़, कानाफूसी, जुमलों और बतकही का दौर चुनाव की घोषणा के साथ ही शुरू हो गया है, शायद उसके पहले से ही| कुछ इसी तरह के वातावरण में हमने अन्नपूर्णा देवी से लम्बी – बेबाक बातचीत की| सौम्य, सुशील और हाजिर जवाब अन्नपूर्णा देवी ने हर मसले पर खुलकर बात की| प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश :
प्रश्न : दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं आप| 2019 में मतदाताओं के लिए नया चेहरा थीं, मोदी लहर थी, आपने बड़े अंतर से चुनाव जीता भी| इस बार क्या फर्क महसूस कर रही हैं?
उत्तर : थोड़ा सा संशोधन चाहूंगी| 2019 में भी नया चेहरा कतई नहीं थी मैं| राज्य सरकार के मंत्री के तौर पर, 20 वर्षों से ज्यादा राज्य की एक सक्रिय राजनेत्री के तौर पर कोडरमा लोकसभा के मतदाताओं से भी मेरा घर आँगन का रिश्ता रहा है| ये भी मत भूलिए कि मैं झारखण्ड की बेटी हूं और बहू भी, फिर नया चेहरा होने का प्रश्न ही नहीं|
अब मैं आपके सवाल के दूसरे हिस्से पर आती हूं| फर्क तो है| पहले उम्मीदें थीं, अब उन उम्मीदों के पूरा होने की गारंटी है| पिछले 10 साल में मोदी सरकार की पहचान डिलीवर करनेवाली सरकार के रूप में हुई है, पारदर्शी तरीके से काम करनेवाली सरकार के रूप में हुई है, वंचितों को वरीयता देते हुए विकास का लाभ सबको मिले और पूरा मिले – यह सुनिश्चित करनेवाली सरकार के रूप में हुई है| हाँ, अगर बात मोदी लहर की है तो यह तब भी थी, अब भी है और आगे भी रहेगी|
प्रश्न : राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा तो विभिन्न मंचों से हो रही है लेकिन लाजिमी तौर पर आपकी निजी उपलब्धियों के बारे में लोग जानना चाहेंगे?
उत्तर : काफी कुछ हुआ है कोडरमा संसदीय क्षेत्र में| रेल सुविधाओं के विकास और विस्तार की दृष्टि से सांसद के रूप में मेरा कार्यकाल स्वर्णयुग माना जा रहा है और इसकी गवाही मेरे संसदीय क्षेत्र का एक एक व्यक्ति देगा| हजारीबाग रोड (सरिया) में रेल ओवरब्रिज की मांग करीब पांच दशक पुरानी थी, लगभग पूरे संसदीय क्षेत्र के लोगों की तकलीफ थी यह| आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर कमलों से ओवरब्रिज का शिलान्यास हो चुका है, निर्माण कार्य जारी है| हजारीबाग रोड और कोडरमा, यही दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं मेरे संसदीय क्षेत्र में, दोनों को अमृत भारत स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां एयरपोर्ट की तरह विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी| करीब डेढ़ दर्जन वैसी ट्रेनों का ठहराव कोडरमा संसदीय क्षेत्र के विभिन्न स्टेशनों पर शुरू हुआ है, जिनकी मांग दशकों से की जा रही थी| गिरिडीह में रेलवे स्टेशन 150 साल पहले बना लेकिन गिरिडीह से आसनसोल और हटिया तक एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन मेरे कार्यकाल में पहली बार शुरू हुआ| झारखण्ड धाम एक प्रमुख तीर्थस्थल है, यहाँ से होकर ट्रेनें गुजरती तो थी लेकिन रुकती नहीं थी, मेरे प्रयास से ही झारखण्ड धाम हॉल्ट बना और अब यहाँ ट्रेनों का ठहराव भी शुरू हो गया है|
इसके अलावा मेरे संसदीय क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक आदि तकनीकी संसथान स्थापित हुए| प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से 600 करोड़ से ज्यादा की राशि से ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ|
प्रश्न : आपने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिये आये बदलाव का जिक्र किया| कोडरमा, गिरिडीह और हजारीबाग के वो इलाके जो आपके संसदीय क्षेत्र में आते हैं, उनकी विकास की भूख शांत करने के लिए या यूँ कहें कि समस्याओं के समाधान के लिए ये परम्परागत तरीके काफी हैं क्या?
उत्तर : नहीं, बिलकुल नहीं| वैसे आपका ये सवाल बहुत अच्छा है, प्रासंगिक भी| मैं खुद भी लकीर की फ़कीर नहीं| इसीलिये मैंने नए रास्ते खोज निकाले| भारत सरकार के लोक उपक्रमों के निगमित सामाजिक दायित्व के तहत खर्च की जानेवाली राशि का सदुपयोग कर वैकल्पिक रास्ता निकाला| सीएसआर फण्ड से ही सरिया, राज धनवार आदि के कॉलेजों में नए भवन बनवाये, अलग – अलग पंचायतों में पांच बहुद्देशीय सामुदायिक भवन बनवाये, करीब दो दर्जन स्कूलों में बाउंड्रीवाल, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, आरओ वाटर संयंत्र, ओपन जिम, सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन आदि की व्यवस्था की, सार्वजनिक महत्व के 200 से ज्यादा स्थानों पर सोलर हाई मास्ट लाइट्स लगवाए| सबसे अच्छी पहल – दो मेडिकल वैन का परिचालन शुरू करवाया जिसमें डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ, जांच और दवा का इंतजाम है| ये मेडिकल वैन पूरे गिरिडीह जिले में गांव गांव घूम घूमकर लोगों को उम्दा गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रहा है, उनके दरवाजे पर|
प्रश्न : कोडरमा की पहचान अभ्रक उद्योग के कारण देश और दुनिया में रही है| लेकिन अब कोडरमा का अभ्रक उद्योग मृतप्राय है| क्षेत्र की जनता से कुछ और उम्मीद करे न करे, अभ्रक उद्योग के पुनर्जीवन की उम्मीद जरुर करती है| लेकिन कुछ ओ नहीं पाया इस दिशा में?
उत्तर : देखिये, माईनर मिनरल की श्रेणी में आने के कारण अभ्रक उत्खनन राज्य सरकार का विषय है| लेकिन राज्य सरकार ने इसपर कभी गंभीरता दिखाई ही नहीं| एक दिलचस्प बात बताऊँ? अभ्रक उद्योग के ठप्प होने के बाद इस इलाके की एक बड़ी आबादी, जिसमें बहुतायत गरीबों की है, माइका स्क्रैप पर निर्भर हो गयी थी| बंद पड़े अभ्रक खदानों के आसपास से चुनकर लोग माइका स्क्रैप बेचते थे, गुजर बसर करते थे| राज्य की कांग्रेस – झामुमो – राजद गठबंधन की सरकार ने उसपर पहरा लगा दिया| माइका इंडस्ट्री के ठप्प होने के बाद पत्थर का कारोबार यहाँ के लोगों को रोजगार दे रहा था| राज्य सरकार ने उसे भी रोक दिया| मजे की बात यह है कि माइका स्क्रैप, पत्थर या बालू के कारोबार तो सामने से ताला लगा हुआ है, आम आदमी के लिए सबकुछ प्रतिबंधित है| लेकिन इस सरकार ने पिछ्ला दरवाजा अवैध कारोबारियों के लिए खोल रखा है| सरकार की सरपरस्ती में माइका स्क्रैप, पत्थर, बालू आदि का काला कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है| थोडा इंतज़ार कीजिये, झारखण्ड में भाजपा की सरकार बनने दीजिये, ये विसंगतियां भी ठीक होंगी|
प्रश्न : लेकिन कोडरमा संसदीय क्षेत्र में रोजगार – व्यवसाय को जीवन और गति देने के लिए कुछ तो करना होगा?
उत्तर : हाँ बिलकुल करना होगा| और उस दिशा में कोशिश हुई भी है, परिणाम बेशक कुछ दिनों बाद दिखेंगे आपको| डीवीसी के कोडरमा थर्मल पॉवर केंद्र के आने से कुछ हद तक स्थितियां बदली हैं| इस संयंत्र की क्षमता का विस्तार हो चुका है, जल्दी ही चालू होगा और तब रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे| इसके अलावा, एक बड़े सीमेंट संयंत्र की संभावना है जिसमें बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा और डीवीसी के फ्लाई ऐश का निपटान भी होगा| प्लास्टिक एवं कुछ अन्य उद्योगों की संभावना भी तलाशी गयी है और इसके लिए एक इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना हमारी योजना का हिस्सा है|
प्रश्न : आप राज्य सरकार को विकास में बाधक बता रही हैं लेकिन राज्य की सत्ता में शामिल पार्टियाँ तो आरोप लगाती हैं कि मोदी सरकार ने राज्य को उसका वाजिब हक़ नहीं दिया, हिस्सा और पैसा नहीं दिया जिससे विकास कार्य बाधित हुए हैं| आखिर दोनों में सच क्या है?
उत्तर : कुछ आंकड़े दे रही हूं, फिर आप खुद निर्णय तक पहुँच जायेंगे| यूपीए शासन के 10 वर्षों की तुलना में एनडीए सरकार के 10 वर्षों में (29 फरवरी 2024 तक) कर हस्तांतरण में लगभग 300% की वृद्धि हुई है, सहायता अनुदान में लगभग 230% की वृद्धि हुई है| आपको याद होगा कि कोविड संकट के समय वित्त वर्ष 2020 – 21 में राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए 50 वर्षों की ब्याजमुक्त ऋण की विशेष सहायता की योजना शुरू की गई थी, जिसे बाद में भी जारी रखा गया| झारखण्ड को वित्त वर्ष 2020-21 से 27 फरवरी 2024 तक 50-वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 7936 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं| जहां तक जीएसटी कम्पनशेसन का प्रश्न है, 1 मार्च 2024 तक झारखंड की कोई जीएसटी मुआवजा राशि देय या बकाया नहीं है|