आदित्यपुर : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर में मंगलवार को एक विज्ञान नवाचार शिविर का आयोजन किया गया। इस आयोजन में छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक प्रयोगों से परिचित कराया गया। यह कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित था। शिविर में एनआईटी के निदेशक प्रो. डॉ. गौतम सूत्रधार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि अनुसंधान एवं परामर्श विभाग के डीन प्रो. एम.के. सिन्हा विशिष्ट अतिथि थे।
शिविर का उद्घाटन और प्रेरक भाषण
प्रो. गौतम सूत्रधार का उद्घाटन भाषण
शिविर का उद्घाटन करते हुए प्रो. गौतम सूत्रधार ने छात्रों को रचनात्मक सोच और नवाचार की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे अत्याधुनिक अनुसंधान और तकनीकी विकास पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को नए ज्ञान और कौशल अर्जित करने की प्रेरणा दी। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
रचनात्मकता और नवाचार की दिशा में प्रेरणा
प्रो. गौतम ने छात्रों से आग्रह किया कि वे विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में गहरी रुचि विकसित करें और इस क्षेत्र में निरंतर सीखते रहें। उन्होंने बताया कि शिक्षा और अनुसंधान की शक्ति से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना संभव है।
छात्रों के लिए प्रयोगशाला दौरा और तकनीकी कार्यशाला
शिविर में 160 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया
इस आयोजन में लगभग 160 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिनका चयन आसपास के स्कूलों और कॉलेजों से किया गया था। शिविर के दौरान, छात्रों को एनआईटी जमशेदपुर की प्रमुख प्रयोगशालाओं का दौरा कराया गया, जहां उन्हें रोबोटिक्स, सेंसर्स, और अन्य आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई।
रोबोटिक्स और पारंपरिक ज्ञान पर सत्र
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. विजय डल्ला ने रोबोटिक्स के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम विकास के बारे में छात्रों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे रोबोटिक्स, ऑटोमेशन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के माध्यम से नई तकनीकें विकसित की जा रही हैं, जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी साबित हो रही हैं।
भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली पर व्याख्यान
इस शिविर में प्रो. डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली के महत्व पर एक विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने सांस्कृतिक और तकनीकी समावेशन पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे भारतीय परंपरा में विज्ञान और नवाचार का समृद्ध इतिहास रहा है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर भारतीय गणित, आयुर्वेद और वास्तुकला का हवाला दिया, जिनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार की झलक मिलती है।
धन्यवाद ज्ञापन और आयोजन की सफलता
कार्यक्रम के अंत में प्रो. डॉ. बिपिन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने इस आयोजन की सफलता के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) का आभार व्यक्त किया और साथ ही छात्रों, शिक्षकों और आयोजकों की कड़ी मेहनत की सराहना की। उनका कहना था कि ऐसे शिविरों का आयोजन छात्रों को नई दिशाओं में सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।