हॉस्टल-लॉज-बैंक्वेट हॉल संचालकों के बीच लाइसेंस को लेकर उदासीनता, नगर निगम की चिंता बढ़ी
रांची: रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) द्वारा राजधानी में अवैध रूप से चल रहे हॉस्टल, लॉज और बैंक्वेट हॉल के विरुद्ध जारी अभियान को गंभीरता नहीं मिल रही है। लाइसेंस प्राप्त करने की अंतिम तिथि 10 मई निर्धारित की गई है, लेकिन अधिकांश संचालकों की तरफ से अब तक न तो आवेदन किया गया है और न ही कोई पहल दिखाई गई है।
हॉस्टल और लॉज लाइसेंस आवेदन: महज 250 ने किया रिस्पॉन्स
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, रांची शहर में हजारों हॉस्टल और लॉज संचालित हो रहे हैं, परंतु अब तक सिर्फ 250 संचालकों ने ही लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। यह संख्या रांची जैसे बड़े शहर के संदर्भ में बेहद कम मानी जा रही है। नियमों के बावजूद बिना लाइसेंस के हॉस्टल और लॉज का संचालन सुरक्षा और सुविधा दोनों के लिहाज़ से चिंताजनक स्थिति दर्शाता है।
बैंक्वेट हॉल लाइसेंस की स्थिति भी चिंताजनक
बैंक्वेट हॉल संचालन के लिए आवश्यक लाइसेंस के मामले में भी लापरवाही साफ तौर पर देखी जा रही है। नगर निगम को अब तक केवल 36 बैंक्वेट हॉल संचालकों से ही आवेदन प्राप्त हुए हैं। शहर में सैकड़ों बैंक्वेट हॉल हैं, जो शादियों, आयोजनों और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन बिना किसी वैध अनुमति के संचालन की प्रवृत्ति लगातार बनी हुई है।
अवैध प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई में सख्ती की कमी, उठ रहे सवाल
नगर निगम की कार्रवाई को लेकर शहरवासियों के बीच नाराजगी है। कई लोगों का मानना है कि निगम की कार्रवाई केवल चुनिंदा प्रतिष्ठानों तक सीमित है और व्यापक स्तर पर निष्पक्षता की कमी है। नियमों का उल्लंघन करने वाले प्रतिष्ठान बेखौफ होकर कार्यरत हैं, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रशासन की सुस्ती अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है?
व्यावसायिक लाइसेंसिंग में भी दिखी सुस्ती: 1 लाख दुकानों में सिर्फ 18 हजार ट्रेड लाइसेंस
ट्रेड लाइसेंस (Trade License Ranchi) की स्थिति भी कम गंभीर नहीं है। नगर निगम द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, रांची शहर में लगभग 1 लाख दुकानें हैं, लेकिन इनमें से केवल 18 हजार दुकानदारों ने ही ट्रेड लाइसेंस प्राप्त किया है। यह स्थिति न केवल निगम की निरीक्षण प्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रही है।
आवासीय भवनों के व्यावसायिक उपयोग की जांच भी ठंडी पड़ी
नगर निगम ने हाल ही में ऐसे आवासीय भवनों की जांच शुरू की थी, जिन्हें व्यवसायिक गतिविधियों के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। इनमें से कई मकान मालिक बिना वाणिज्यिक होल्डिंग टैक्स अदा किए किरायेदार रखकर या दुकानें खोलकर लाभ कमा रहे हैं। हालांकि शुरुआती नोटिस देने के बाद यह अभियान भी धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया है। निगम ने स्पष्ट किया था कि दोषी पाए जाने वाले भवन मालिकों पर निर्माण तिथि से अब तक का 100 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा।