गिरिडीह से रेफर मरीज को धनबाद के निजी अस्पताल में कराया गया भर्ती

गिरिडीह: गिरिडीह जिले के गांडेय थाना क्षेत्र के बेलाटांड़ गांव निवासी राजेश हेंब्रम हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। परिजनों ने उन्हें पहले गिरिडीह सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें बेहतर उपचार के लिए धनबाद के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SNMMCH) रेफर किया गया।

Dhanbad News : SNMMCH की जगह निजी अस्पताल में भर्ती, 54 हजार की डिमांड

परिजनों का आरोप है कि निजी एंबुलेंस चालक ने मरीज को SNMMCH ले जाने के बजाय धनबाद के जेपी हॉस्पिटल में जबरन भर्ती करवा दिया। वहां पहुंचते ही अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के नाम पर ₹54,000 की मांग की, जिसे परिजन तत्काल देने में असमर्थ थे।

परिजनों ने मीडिया का सहारा लिया, फिर 22 हजार में मिला छुटकारा

मरीज के पिता जीवन हेंब्रम ने बताया कि जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया, तो अस्पताल प्रशासन ने मरीज को छुट्टी देने से मना कर दिया। इसके बाद परिजनों ने मीडिया में मामला उठाने की बात कही, तब जाकर अस्पताल प्रबंधन ने ₹22,000 लेने के बाद मरीज को डिस्चार्ज किया। हालांकि मरीज का इलाज अधूरा था और उसे बाद में दोबारा SNMMCH में भर्ती कराना पड़ा।

झारखंड स्वास्थ्य तंत्र पर उठे सवाल, परिजनों ने बिचौलियों पर कार्रवाई की मांग की

परिजनों ने इस घटना को स्वास्थ्य तंत्र की विफलता करार देते हुए झारखंड सरकार और धनबाद जिला प्रशासन से बिचौलियों और निजी अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन से भी हस्तक्षेप की अपील की है।

अस्पताल प्रबंधन ने दी सफाई, SNMMCH करेगा जांच

जेपी हॉस्पिटल के संचालक प्रदीप मंडल ने सफाई दी कि मरीज खुद उनकी सुविधा में आया था और उसने अपनी मर्जी से ही डिस्चार्ज लिया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि मरीज सरकारी अस्पताल से रेफर किया गया था।

वहीं SNMMCH के वरीय प्रबंधक डॉ. सुमन कुमार ने कहा कि यदि मरीज या उसके परिजन लिखित शिकायत करते हैं, तो मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

Dhanbad News : रेफर मरीजों के लिए बिचौलियों का सक्रिय नेटवर्क बनता चिंता का विषय

धनबाद और गिरिडीह जैसे जिलों में रेफर मरीजों को लेकर बिचौलियों का नेटवर्क एक बड़ा संकट बनकर उभर रहा है। ऐसे मामलों में गरीब और असहाय मरीजों को सरकारी अस्पताल के अधिकार से वंचित कर निजी अस्पतालों में भेजकर अत्यधिक शुल्क वसूला जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य सेवा में पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल उठ रहे हैं।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version