खरसावां: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने खरसावां विधानसभा सीट से सोनाराम बोदरा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। सोनाराम बोदरा पूर्व में सरायकेला-खरसावां जिला परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं और हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उनकी उम्मीदवारी ने खरसावां सीट पर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
सोनाराम बोदरा: जेएमएम से बीजेपी तक का सफर
राजनीतिक सफर की शुरुआत
सोनाराम बोदरा का राजनीतिक सफर काफी रोचक रहा है। वह पहले टाटा स्टील में नौकरी करते थे, लेकिन राजनीति के प्रति रुचि ने उन्हें इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। चंपई सोरेन के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने टाटा स्टील की नौकरी छोड़ दी और जेएमएम में शामिल हो गए। लंबे समय तक जेएमएम का हिस्सा रहने के बाद हाल ही में उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली और बीजेपी में शामिल हो गए।
जेएमएम से अनबन के बाद बीजेपी में एंट्री
सोनाराम बोदरा का बीजेपी में शामिल होना उस समय हुआ जब झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई थी। जेएमएम से अनबन के बाद, जब चंपई सोरेन ने बीजेपी का दामन थामा, तब सोनाराम भी उनके साथ आ गए। पार्टी ने उनके राजनीतिक अनुभव और क्षेत्र में उनकी पकड़ को देखते हुए खरसावां से उन्हें टिकट दिया है।
खरसावां में सोनाराम बोदरा का मुकाबला दशरथ गागराई से
मंझे हुए नेता से होगी कड़ी टक्कर
सोनाराम बोदरा का सामना खरसावां सीट पर जेएमएम के दिग्गज नेता दशरथ गागराई से होगा। दशरथ गागराई पिछले दो विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और उनका खरसावां क्षेत्र में अच्छा खासा जनाधार है। 2014 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को हराकर सभी को चौंका दिया था। इसके बाद 2019 में उन्होंने बीजेपी के जवाहरलाल बनरा को 22,000 से अधिक मतों से हराकर अपनी जीत को दोहराया।
क्या सोनाराम बोदरा बदल पाएंगे खरसावां की सियासत?
बीजेपी के लिए खरसावां सीट इस बार चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। दशरथ गगरई के दो बार जीतने और मजबूत जनाधार को देखते हुए, सोनाराम बोदरा के लिए यह चुनाव आसान नहीं होने वाला है। हालांकि, बीजेपी की रणनीति और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके सोनाराम इस मुकाबले को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेंगे।
बीजेपी की रणनीति: क्या बदलेगी खरसावां की तस्वीर?
बीजेपी ने खरसावां में सोनाराम बोदरा को उम्मीदवार बनाकर यह साफ कर दिया है कि वह जेएमएम के मजबूत किले में सेंध लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है। पार्टी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी है और ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी की रणनीति यहां कितनी कारगर साबित होती है।