Ranchi: झारखंड के गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड कार्यालय में कार्यरत पंचायत सेवक सुखलाल महतो द्वारा कीटनाशक खाकर आत्महत्या का प्रयास किए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। घटना के बाद विधायक जयराम कुमार महतो ने ग्रामीण विकास मंत्री वंदना दीपिका सिंह पांडेय को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय विभागीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

डुमरी BDO पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप, पंचायत सेवक की हालत गंभीर

घटना से पहले पंचायत सेवक सुखलाल महतो ने एक पत्र में आरोप लगाया कि उन्हें डुमरी बीडीओ सहित तीन अन्य अधिकारियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। इसके कुछ ही देर बाद उन्होंने डुमरी प्रखंड कार्यालय परिसर में ही कीटनाशक का सेवन कर लिया।

गंभीर स्थिति में उन्हें पहले डुमरी रेफरल अस्पताल और फिर रिम्स रांची रेफर किया गया, जहां इलाज जारी है

जयराम महतो का आरोप: प्रखंड कार्यालय में भ्रष्टाचार और अमानवीय व्यवहार

विधायक जयराम महतो ने मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि यह घटना केवल एक कर्मचारी की व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि प्रखंड कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार और अमानवीय व्यवहार की पोल खोलती है।

उन्होंने पत्र में लिखा:

“पंचायत सेवक द्वारा आत्महत्या की कोशिश से पहले लिखे गए पत्र में बीडीओ और अन्य अधिकारियों द्वारा लगातार मानसिक दबाव बनाए जाने की बात स्पष्ट रूप से कही गई है। यह सिस्टम की विफलता का परिचायक है।”

ईमानदार कर्मियों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना सुशासन की असफलता: विधायक

पत्र में विधायक ने यह भी कहा कि प्रखंड, अंचल और पंचायत स्तर पर विकास कार्यों की निगरानी में सुशासन की अहम भूमिका होती है, लेकिन अगर एक ईमानदार कर्मचारी को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़े, तो यह दर्शाता है कि प्रशासनिक व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं।

उन्होंने मंत्री से आग्रह किया कि:

  • पूरे प्रकरण की स्वतंत्र और निष्पक्ष विभागीय जांच कराई जाए
  • दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए
  • भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हो, इसके लिए सिस्टमेटिक सुधार लागू किए जाएं

पंचायत सेवक आत्महत्या प्रयास मामले में जांच क्यों जरूरी?

यह मामला न केवल कर्मचारी शोषण बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही से भी जुड़ा है। झारखंड में इस प्रकार की घटनाएं स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार और भय के माहौल को उजागर करती हैं, जहां कर्मचारी अपनी बात कहने के लिए कोई सुरक्षित मंच नहीं पाते।

इस मामले में जयराम महतो का पत्र राज्य सरकार के लिए एक जागरूक करने वाला दस्तावेज हो सकता है, जिससे प्रखंड स्तर पर कार्य संस्कृति में पारदर्शिता लाई जा सके।

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