Jharkhand Congress Leadership Change: सरना आदिवासी नेता की संभावित नियुक्ति
रांची: झारखंड कांग्रेस में अब बदलाव की आहट प्रमुख रूप से सुनाई दे रही है। पार्टी आलाकमान द्वारा जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी आदिवासी नेतृत्व—विशेषकर सरना आदिवासी समुदाय—से चुने जाने की संभावना जताई जा रही है। इस कदम से कांग्रेस की सामाजिक समावेशिता की तस्वीर को मजबूत किया जा सकता है।
ओबीसी अध्यक्ष को आदिवासी से मिलेगा स्थान
वर्तमान में कांग्रेस का OBC समुदाय से संबंध रखने वाला प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी नेता हैं, जबकि कैबिनेट में दलित, अल्पसंख्यक, ब्राह्मण और ईसाई (आदिवासी) कोटे से चार मंत्री प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में दलगत संतुलन के साथ-साथ सरना आदिवासी वर्ग को भी नेतृत्व में पद देकर सामाजिक संतुलन बनाए रखने की सियासत चली जा रही है।
राजेश कच्छप, कालीचरण मुंडा, सुखदेव भगत, बंधु तिर्की
- राजेश कच्छप: वर्तमान में विधायक दल के उपनेता और दो बार विधायक रह चुके, लोकप्रिय युवा सरना आदिवासी नेता। लालित संगठन कार्य से उन्हें मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
- कालीचरण मुंडा: खूंटी से सांसद, जिन्होंने आर. मुंडा को हराया। उनकी जीत ने उन्हें हाईकमान में तरजीह दी है।
- सुखदेव भगत एवं प्रदीप बलमुचू: अनुभवी सांसद पूर्णकालिक नेतृत्व की संभावनाओं के चलते चर्चा में हैं। पार्टी में स्थिरता लाने के लिए इन्हें एक रणनीतिक विकल्प माना जा रहा है।
- बंधु तिर्की: आदिवासी समाज में प्रभावशाली, जिनकी बेटी भी मंत्री हैं। कार्यकारी अध्यक्ष से प्रदेश अध्यक्ष बनने की परंपरा में नाम जोड़ा जा रहा है।
‘कार्यकारी अध्यक्ष’ रिक्रसेंस को ध्यान में रखते हुए
पिछले वर्षों ने दिखाया कि कांग्रेस झारखंड में कार्यकारी अध्यक्ष को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाती है। इसी धारा में बंधु तिर्की प्रमुख उम्मीदवार बनकर उभरते नजर आए। ऐसा होना राजनीतिक संतुलन और संगठनवाद के लिहाज से समझदारी भरा कदम माना जा रहा है।
अगस्त तक नए प्रदेश अध्यक्ष की संभावना
सूत्रों का कहना है कि बदलाव अगस्त माह में हो सकता है। वर्तमान अध्यक्ष केशव महतो कमलेश संताल-परगना में संगठन मजबूत करने में सक्रिय हैं। वे लगातार कांग्रेस प्रभारी के. राजू के साथ प्रदेशभर में बैठक कर चुके हैं, जिससे अगले नेतृत्व की रूपरेखा तैयार हो रही है।