रांची: खूंटी जिले के बहुचर्चित मनरेगा घोटाले में बर्खास्त जूनियर इंजीनियर राम बिनोद सिन्हा को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की विशेष अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही सिन्हा पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह सजा 12 योजनाओं के मद से 88 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में सुनाई गई है।
18.76 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति का आरोप
राम बिनोद सिन्हा पर खूंटी जिला परिषद में कार्यरत रहते हुए 18.76 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। एसीबी ने 2017 में इस मामले की जांच शुरू की थी। जांच के दौरान सिन्हा पर 17 अलग-अलग केस दर्ज हुए, जिनमें से 3 मामलों में पहले ही फैसला सुनाया जा चुका है। बाकी 14 मामले पीएमएलए की विशेष अदालत में स्थानांतरित किए जा चुके हैं।
दो साल तक रहा फरार, कोलकाता से हुई गिरफ्तारी
ACB की कार्रवाई बढ़ने पर राम बिनोद सिन्हा दो साल तक फरार रहा। आखिरकार, 18 जून 2020 को उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने इस घोटाले में सिन्हा को दोषी मानते हुए सख्त सजा सुनाई है, जिससे सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का संदेश दिया गया है।