सीसीएल चंद्रगुप्त कोल परियोजना में वन भूमि विवाद ने पकड़ा तूल
टंडवा/चतरा: टंडवा और केरेडारी अंचल क्षेत्र में संचालित सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) की चंद्रगुप्त ओपनकास्ट कोल परियोजना एक बड़े विवाद के घेरे में है। 417 एकड़ भूमि के नवीनीकरण प्रस्ताव में गड़बड़ी के संदेह पर झारखंड पुलिस की आपराधिक जांच शाखा (CID) ने जांच तेज कर दी है। यह भूमि केरेडारी अंचल के मौजा पचड़ा, चट्टी बरियातू, बुकरू, सिझुआ और जोरदार में फैली हुई है, जहां प्रपत्र-1 के बावजूद भूमि की प्रकृति स्पष्ट नहीं हो सकी थी।
फर्जी दस्तावेज और ओवरराइटिंग पर अधिकारियों से गहन पूछताछ
सीसीएल और परियोजना से जुड़े खनन विकासकर्ता सह ऑपरेटर (MDO) के महाप्रबंधकों से CID ने औपचारिक पूछताछ की। सीसीएल की ओर से जीएम अमरेश कुमार और संजीव कुमार जबकि सुशी इंफ्रा माइनिंग लिमिटेड (MDO) की ओर से जीएम आर.एस. यादव ने उपस्थित होकर CID के समक्ष अपना पक्ष रखा। पूछताछ में सीसीएल अधिकारियों ने यह स्वीकार किया कि भूमि दस्तावेजों में ओवरराइटिंग की गई थी, जिसे अंचल निरीक्षक द्वारा “सुधार” बताया गया।
लेकिन सीआईडी ने इस कथित सुधार पर गंभीर सवाल उठाए हैं—
- यदि सुधार हुआ था, तो नई और त्रुटिरहित सूची क्यों नहीं बनाई गई?
- यह कैसे तय हुआ कि अंचल निरीक्षक ने दस्तावेजों में बदलाव किया?
- किस रिकॉर्ड और किस व्यक्ति के आधार पर मूल सूची तैयार हुई थी?
- सीसीएल अधिकारियों और अंचलाधिकारी ने इस संदिग्ध सूची पर आपत्ति क्यों नहीं जताई?
भूमि घोटाले में CID की कार्रवाई से खुल सकते हैं मनी लॉन्ड्रिंग के नए रास्ते
यह मामला सामाजिक कार्यकर्ता मंटू सोनी की शिकायत पर सामने आया। शिकायत के बाद झारखंड के पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने CID को जांच का निर्देश दिया। यह मामला केवल वन भूमि के नवीनीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संगठित गिरोह द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी देने और जमीन अधिग्रहण में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की आशंका भी जताई जा रही है।
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से भी इस प्रकरण की जांच की मांग तेज हो गई है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार की परतें खुलने की संभावना है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि इस भूमि विवाद का उपयोग सीसीएल में फर्जी नियुक्तियों और अवैध मुआवजे के लिए किया गया।
कांड संख्या 45/25 और 54/25: दोहरी जांच की मांग
भूमि विवाद से जुड़े दो प्राथमिक कांड दर्ज किए जा चुके हैं—
- पहला, टंडवा थाना में कांड संख्या 45/25, जिसमें भूमि के फर्जीवाड़े का मामला दर्ज है।
- दूसरा, कांड संख्या 54/25, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सीसीएल में नौकरी दिलाने की बात सामने आई है।
ग्रामीणों और रैयतों द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि मामले की जांच न केवल CID बल्कि स्वतंत्र एजेंसी या न्यायिक आयोग से कराई जाए।
चंद्रगुप्त कोल परियोजना के दस्तावेजों की वैधता पर गंभीर सवाल
सभी दस्तावेजों की वैधता और प्रकृति पर संदेह बना हुआ है। खासकर प्रपत्र-1 के बावजूद भूमि की श्रेणी को लेकर स्पष्टीकरण न मिलना, नवीनीकरण की प्रक्रिया पर पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर चिंताओं को जन्म देता है। इस परियोजना के लिए अधिग्रहण की गई भूमि यदि वास्तव में वन भूमि थी, तो इसके बिना पर्यावरणीय मंजूरी के खनन प्रक्रिया को भी अवैध माना जा सकता है।
रैयतों में आक्रोश, पारदर्शिता की मांग
टंडवा कोयलांचल क्षेत्र के लाखों ग्रामीण रैयत जांच को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि दोषियों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा दी जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसे भूमि अधिग्रहण या मुआवजा वितरण में कोई फर्जीवाड़ा न हो।