रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की पूर्व विधायक ममता देवी को बड़ी राहत मिली है। झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को हजारीबाग की एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा सुनाई गई 7 साल की सजा पर रोक लगा दी है।

इस फैसले से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और ममता देवी के समर्थकों में उत्साह का माहौल है। हाईकोर्ट का यह फैसला ममता देवी को एक बार फिर सक्रिय राजनीति में लौटने का मौका देगा।

क्या है पूरा मामला?

झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित गोला प्रखंड के टोनागातू क्षेत्र में इनलैंड पावर प्लांट का निर्माण किया गया था। इस प्रोजेक्ट के दौरान कई ग्रामीणों को विस्थापित किया गया, जिन्हें नौकरी, मुआवजा और रोजगार देने का वादा किया गया था।

हालाँकि, प्रबंधन द्वारा कुछ लोगों को नौकरी दी गई, लेकिन ग्रामीणों का आरोप था कि उन्हें उचित सुविधाएं और रोजगार नहीं मिला।

इसी मांग के समर्थन में 29 अगस्त, 2016 को तत्कालीन पार्षद ममता देवी और राजीव जायसवाल के नेतृत्व में पावर प्लांट के सामने धरना प्रदर्शन किया गया। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों के हितों की रक्षा और उन्हें रोजगार दिलाना था।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई थी झड़प

धरने के दौरान स्थिति उस वक्त तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव हुआ। यह विवाद इतना बढ़ गया कि मामला हिंसा में बदल गया। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 43 लोग घायल हो गए।

इस घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने तत्कालीन सीओ की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने इस हिंसक झड़प को लेकर गोला और रजरप्पा थानों में कई मामले दर्ज किए।

ममता देवी समेत 13 आरोपियों को मिली थी सजा

इस घटना के बाद मामला कोर्ट में गया, जहाँ हजारीबाग के एमपी-एमएलए कोर्ट के जज पवन कुमार ने ममता देवी समेत 13 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी।

ममता देवी को भारतीय दंड संहिता की धारा 333 और 307 के तहत 5 साल की सजा दी गई थी, जबकि धारा 148 और 332 के तहत 2 साल की सजा के साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

झारखंड हाईकोर्ट ने सजा पर लगाई रोक, क्या होगा आगे?

मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सजा पर रोक लगा दी है। कोर्ट के इस फैसले के बाद ममता देवी को दोबारा राजनीतिक मैदान में उतरने का अवसर मिल सकता है। इस फैसले के बाद कांग्रेस समर्थकों में जश्न का माहौल है और वे इसे न्याय की जीत बता रहे हैं।

चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए संजीवनी?

झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र यह फैसला कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संजीवनी के रूप में देखा जा रहा है। ममता देवी की राजनीति में वापसी से पार्टी को एक नई ऊर्जा और मजबूती मिलने की उम्मीद है, जो चुनावी अभियान को भी प्रभावित कर सकती है।

झारखंड हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब देखना यह होगा कि राज्य की राजनीति में क्या नया मोड़ आता है और ममता देवी की सक्रियता कांग्रेस के लिए कितनी फायदेमंद साबित होती है।

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