जामताड़ा: झारखंड विधानसभा चुनाव में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। जामताड़ा के मतदान केंद्र संख्या 236 पर मतदाता अभय बरनवाल को उस समय रोका गया जब उन्होंने मतदान करने की कोशिश की। प्रशासन का दावा था कि उनका वोट पहले ही वॉलेट पेपर के जरिए डाला जा चुका है। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वोटर अभय बरनवाल ने उठाए सवाल
“मैंने मतदान किया ही नहीं, फिर मेरा वोट कैसे पड़ा?”
अभय बरनवाल, जो पेशे से एक जेरॉक्स दुकान चलाते हैं, ने घटना पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा:
“मैंने अब तक मतदान नहीं किया, फिर मेरा वोट वॉलेट पेपर के जरिए कैसे दर्ज हो सकता है? यह प्रक्रिया सरकारी कर्मचारियों के लिए है, न कि आम जनता के लिए। मुझे अपने मताधिकार का प्रयोग करना है, और जिला प्रशासन इसे सुनिश्चित करे।”
इस घटना ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन ने दी सफाई, जांच के आदेश
अनुमंडल पदाधिकारी का बयान
घटना की जानकारी मिलने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा,
“हमें इस मामले की जानकारी मिली है। यह एक गंभीर चूक है, जिसकी जांच जारी है। मतदाता को आश्वासन दिया गया है कि जांच के बाद उन्हें मतदान का मौका दिया जाएगा।”
क्या है वॉलेट पेपर प्रक्रिया?
वॉलेट पेपर के जरिए मतदान का प्रावधान आमतौर पर सरकारी कर्मचारियों और ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के लिए किया जाता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि एक आम नागरिक का वोट इस प्रक्रिया के तहत कैसे दर्ज हुआ?
घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर खड़े किए सवाल
चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर चिंता
इस घटना ने झारखंड में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम मतदाता के अधिकार का हनन लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
वोटिंग प्रक्रिया में सुधार की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए तकनीकी अपग्रेडेशन और सख्त निगरानी की आवश्यकता है।