एडीआर द्वारा प्रत्याशियों की वित्तीय स्थिति का खुलासा
रांची: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने झारखंड विधानसभा चुनाव में भाग ले रहे प्रत्याशियों की आय के स्रोतों पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कई ऐसे उम्मीदवारों का उल्लेख किया गया है, जिनकी वार्षिक आय करोड़ों रुपये में है। पहले स्थान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा हैं, जो भाजपा की टिकट पर पोटका विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। मीरा की कुल संपत्ति ₹14 करोड़ 90 लाख 86960 है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए उनके आयकर रिटर्न के अनुसार, मीरा ने बिजनेस डायरेक्टर और बैंक ब्याज से ₹3 करोड़ 72 लाख 54141 का आयकर रिटर्न भरा है।
कांग्रेस के अजय कुमार: एक समृद्ध उम्मीदवार
दूसरे स्थान पर डॉ. अजय कुमार हैं, जो जमशेदपुर ईस्ट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जिनकी कुल संपत्ति ₹43 करोड़ 76 लाख 26439 है। अजय ने अपने आय के स्रोत में सैलरी, बोर्ड मेंबरशिप, बैंक ब्याज और सरकारी पेंशन का उल्लेख किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में उन्होंने ₹2 करोड़ 41 लाख 2280 का आयकर रिटर्न भरा है।
पांकी के शशिभूषण मेहता: एक उभरता हुआ सितारा
तीसरे स्थान पर भाजपा के पांकी उम्मीदवार शशिभूषण मेहता हैं, जिनकी कुल संपत्ति ₹32 करोड़ 15 लाख 46244 है। उन्होंने अपनी आय के स्रोत के रूप में व्यापार, कृषि और विधायक के रूप में मिलने वाले वेतन को दर्ज किया है। इसके अलावा, पति-पत्नी ने अपनी आय के स्रोत के रूप में पेंशन का उल्लेख किया है। 2023-24 में उन्होंने ₹1 करोड़ 69 लाख 30780 का आयकर रिटर्न भरा है।
प्रमुख राजनीतिक दलों के करोड़पति उम्मीदवार
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि झारखंड में चुनाव लड़ रही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के पहले चरण में खड़े उम्मीदवारों में से एक बड़ी संख्या करोड़पति हैं। भाजपा के 36 उम्मीदवारों में से 30 (80%) करोड़पति हैं। इसी प्रकार, झारखंड मुक्ति मोर्चा के 23 उम्मीदवारों में से 18 (78%), कांग्रेस के 17 में से 16 (94%), और राजद के 5 में से 4 (80%) करोड़पति हैं। उल्लेखनीय है कि जेडीयू के दोनों उम्मीदवार भी करोड़पति हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का प्रभाव सीमित
एडीआर की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। चौंकाने वाली बात यह है कि 26% ऐसे उम्मीदवार फिर से चुनाव में खड़े हुए हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जिससे चुनावी पारदर्शिता और जन विश्वास पर सवाल उठते हैं।
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