रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते नशे के कारोबार पर सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने डीजीपी अनुराग गुप्ता, एटीएस एसपी, और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था।

कोर्ट के निर्देश

  1. सख्त रणनीति बनाने का आदेश:
    हाईकोर्ट ने अधिकारियों से नशे के कारोबार को रोकने के लिए एक प्रभावी और मजबूत रणनीति तैयार करने को कहा।
  2. सैंपलिंग प्रक्रिया में सुधार:
    अदालत ने मादक पदार्थों की जब्ती और सैंपलिंग में हो रही लापरवाही पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने डीजीपी, एटीएस, और एनसीबी को मिलकर एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया। यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि जब्त किए गए मादक पदार्थों की सैंपलिंग व्यवस्थित और सटीक हो।
  3. समन्वय पर जोर:
    तीनों एजेंसियों को आपस में बेहतर समन्वय स्थापित कर राज्य में मादक पदार्थों की आपूर्ति चेन को खत्म करने के लिए ठोस कार्रवाई करने का आदेश दिया गया।

बढ़ती चिंता

हाईकोर्ट ने नशे के कारोबार के कारण झारखंड के युवाओं पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि यह समस्या केवल कानून-व्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि यह राज्य के भविष्य को प्रभावित करने वाला गंभीर सामाजिक मुद्दा है।

अधिकारियों की जिम्मेदारी

हाईकोर्ट ने डीजीपी और अन्य संबंधित अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि:

  • नशे के कारोबार पर नकेल कसने के लिए नियमित अभियान चलाए जाएं।
  • जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
  • नशे के कारोबार से जुड़े बड़े अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।

अगली सुनवाई

अदालत ने अधिकारियों से इस दिशा में उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है और मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय की है।

झारखंड में नशे के कारोबार पर हाईकोर्ट की सख्ती से यह साफ हो गया है कि अब राज्य में इस समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।

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