डॉ. सोनाझारिया मिंज और कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक विषयों पर संवाद

रांची (झारखंड): यूनेस्को (UNESCO) की को-चेयरपर्सन डॉ. सोनाझारिया मिंज ने मंगलवार को झारखंड की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की से उनके आवास पर शिष्टाचार भेंट की। इस भेंट के दौरान दोनों नेताओं के बीच आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान, भाषाई संरक्षण, और सामाजिक विकास के मुद्दों पर गंभीर विमर्श हुआ।

डॉ. मिंज की यह मुलाकात राज्य और देश के आदिवासी समुदाय के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई संभावनाओं का संकेत मानी जा रही है।

आदिवासी संस्कृति, भाषा और पहचान पर केंद्रित रही चर्चा

बैठक के दौरान आदिवासी भाषाओं की रक्षा, जनजातीय विरासत के प्रचार-प्रसार और सांस्कृतिक स्थायित्व को लेकर विशेष विचार-विमर्श किया गया। डॉ. मिंज ने बताया कि UNESCO में उनकी भूमिका झारखंड सहित पूरे भारत के आदिवासी समुदायों के मुद्दों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने में सहायक होगी।

कृषि मंत्री ने भी यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

डॉ. मिंज के यूनेस्को में चयन को बताया गया गौरवपूर्ण क्षण

डॉ. सोनाझारिया मिंज, जो पहले सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका की कुलपति रह चुकी हैं, का UNESCO में को-चेयरपर्सन के रूप में चयन झारखंड के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण माना जा रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि यह न केवल राज्य बल्कि समस्त जनजातीय समाज के लिए एक प्रेरक उपलब्धि है।

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा,

“डॉ. मिंज की सामाजिक समझ और कार्यक्षमता झारखंड की आदिवासी भाषाओं, परंपराओं और पहचान को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

UNESCO के उद्देश्य: शिक्षा, संस्कृति और शांति में भारत की भागीदारी पर बल

मुलाकात के दौरान UNESCO के उद्देश्योंशिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देने की दिशा में भारत की भागीदारी पर भी जोर दिया गया। डॉ. मिंज ने बताया कि वह आदिवासी महिलाओं, युवाओं और विद्यार्थियों को इस वैश्विक प्रक्रिया से जोड़ने की योजना पर भी कार्य कर रही हैं।

नीति निर्माण में आदिवासी दृष्टिकोण की भूमिका पर भी हुआ विचार

इस शिष्टाचार मुलाकात में नीति निर्माण में जनजातीय दृष्टिकोण की महत्ता, जल-जंगल-जमीन से जुड़ी चुनौतियां, और परंपरागत कृषि पद्धतियों को वैज्ञानिक ढंग से विकसित करने के तरीकों पर भी चर्चा हुई।

मंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार ऐसे सभी प्रयासों में समर्थन देगी जो झारखंड के आदिवासी समाज को वैश्विक मंचों पर सशक्त बना सकें।

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