रांची: झारखंड आंदोलन के जनक और दिशोम गुरु शिबू सोरेन को लेकर राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा (अनिबंधित) ने बड़ा बयान दिया है। सभा ने सरकार से मांग की है कि शिबू सोरेन का समाधि स्थल रांची स्थित मोरहाबादी आवास परिसर में बनाया जाए। संगठन का कहना है कि झारखंड की अस्मिता और आंदोलन की पहचान बने शिबू सोरेन का अंतिम स्मारक वहीं होना चाहिए, जहां से उन्होंने समाज और राज्य के लिए बड़ा योगदान दिया।
झारखंड आंदोलन और शिबू सोरेन की भूमिका
शिबू सोरेन को झारखंड की राजनीतिक और सामाजिक चेतना का प्रमुख चेहरा माना जाता है। उन्होंने महाजनी प्रथा और सूदखोरी के खिलाफ संघर्ष छेड़ा था। साथ ही, उन्होंने धनकटनी आंदोलन की शुरुआत कर आदिवासियों को उनके हक और अधिकार के लिए जागरूक किया।
दिशोम गुरु ने न केवल राजनीतिक मोर्चे पर आंदोलन का नेतृत्व किया बल्कि आदिवासी समाज को शिक्षित करने का अभियान भी चलाया। उनके प्रयासों से आदिवासी समुदाय में शिक्षा और सामाजिक चेतना की नई लहर आई।
युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत
सरना सभा का कहना है कि शिबू सोरेन युवाओं के लिए हमेशा से प्रेरणास्रोत रहे हैं। उन्होंने आदिवासी समाज को एकजुट कर नई दिशा दी। यही कारण है कि उनके समाधि स्थल को मोरहाबादी आवास में बनाने की मांग लगातार उठ रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनसे प्रेरणा ले सकें।
जयपाल उरांव की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि
इसी क्रम में राष्ट्रीय सरना धर्मगुरु स्व. जयपाल उरांव की तृतीय पुण्यतिथि भी बांधगाड़ी दीपाटोली टोली में श्रद्धा के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में उनके संघर्ष और सरना धर्म प्रचार में दिए योगदान को याद किया गया।
श्रद्धांजलि सभा में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा महिला प्रकोष्ठ रांची महानगर अध्यक्षा सुभानी तिग्गा, कोषाध्यक्ष सीता खलखो, रश्मि मिंज, संध्या मिंज, सुषमा टोप्पो, राजकुमारी उरांव, सुनीता उरांव और ललिता खलखो समेत कई सदस्य मौजूद रहे।
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