Ranchi: झारखंड की राजधानी रांची के उपायुक्त (DC) मंजूनाथ भजंत्री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 20 फरवरी को सुनवाई होगी। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें किसी प्रकार की अंतरिम राहत नहीं दी है। यह मामला न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया गया।

क्या है याचिका का मामला?

IAS अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर की है। इस याचिका के माध्यम से उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें चुनावी कार्यों से अलग करने का निर्देश दिया गया था।

  • पृष्ठभूमि:
    22 सितंबर 2023 को विभागीय कार्रवाई के तहत भजंत्री को चुनावी कार्यों से अलग कर दिया गया था।
    • इसके बाद, उन्हें रांची DC के पद से हटा दिया गया।
    • उनकी जगह वरुण रंजन को DC पद की जिम्मेदारी सौंपी गई।
    • यह निर्णय आचार संहिता लागू होने के दौरान लिया गया था।
  • वापसी:
    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण के बाद, सरकार ने मंजूनाथ भजंत्री को दोबारा रांची DC के पद पर नियुक्त कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

मंजूनाथ भजंत्री ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए इसे चुनौती दी।

  • सुप्रीम कोर्ट का रुख:
    न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 फरवरी की तारीख निर्धारित की है।
    • फिलहाल, भजंत्री को कोई तत्काल राहत नहीं दी गई है।

घटनाक्रम का विश्लेषण

चुनावी कार्यों से अलगाव:
यह कदम चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया था।

  1. राजनीतिक विवाद:
    भजंत्री की पुनर्नियुक्ति को लेकर राज्य में राजनीतिक बहस भी तेज हो गई थी।

आगे की राह

मंजूनाथ भजंत्री के लिए 20 फरवरी की सुनवाई बेहद अहम होगी। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल उनके करियर बल्कि झारखंड में प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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