Champai Soren News in Hindi: झारखंड की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन रविवार देर शाम को चाकुलिया-बहरागोड़ा के रास्ते कोलकाता पहुंचे, जहां उन्होंने एक होटल में रात गुजारी।

इस दौरान उनकी मुलाकात भाजपा के कुछ नेताओं से होने की खबरें सामने आ रही हैं।

इसके बाद, सोमवार को चंपाई दिल्ली पहुंच गए, जहां भाजपा के शीर्ष नेताओं से उनकी बातचीत होने की संभावना है।

चंपाई के अगले कदम का इंतजार

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से नाता तोड़ने के बाद अब सभी की निगाहें चंपाई सोरेन के अगले कदम पर टिकी हैं। उनके करीबियों के अनुसार, दिल्ली से चंपाई कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं।

इससे पहले भी, एक सप्ताह पहले, वे दिल्ली में तीन दिन तक रुके थे, जिसके बाद वे जमशेदपुर लौट आए थे।

दूसरी बार दिल्ली दौरा

चंपाई सोरेन ने एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार दिल्ली का दौरा किया है। पिछली बार, उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा जोरों पर थी।

हालांकि, तब उन्होंने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी किसी भाजपा नेता से मुलाकात नहीं हुई थी।

इसके बाद, उन्होंने अपने गांव लौटकर घोषणा की थी कि वे राजनीति से संन्यास नहीं लेंगे और एक नया संगठन बनाएंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि उन्हें समान विचारधारा वाले मित्र मिलते हैं, तो वे उनके साथ मिलकर आगे की रणनीति तय करेंगे।

सरायकेला में चंपाई का कटआउट बना चर्चा का विषय

दिल्ली से लौटने के बाद, चंपाई सोरेन लगातार कोल्हान क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। जहां भी वे जाते हैं, उनके समर्थक उनका जोरदार स्वागत करते हैं।

इसी कड़ी में, शनिवार को उनके सरायकेला दौरे के दौरान, उनका कटआउट और होर्डिंग्स राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गए।

चंपाई के कटआउट का बैकग्राउंड हरे रंग की बजाय भगवा रंग में बदल गया था।

इसके साथ ही होर्डिंग्स भी भगवा रंग में रंगे हुए थे, जिसमें सिर्फ ‘चंपाई सोरेन जिंदाबाद’ लिखा था।

क्या चंपाई भाजपा का रुख करेंगे?

लोगों में सबसे अधिक चर्चा इस बात की है कि क्या चंपाई सोरेन भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं?

हालांकि, जब उनसे इस संबंध में सवाल किया गया, तो उन्होंने बड़ी चतुराई से इस विषय को टालते हुए कहा कि वे अब एक नए रास्ते पर निकल चुके हैं और जल्द ही एक नया अध्याय लिखेंगे।

झारखंड की सियासत में चंपाई सोरेन के इस नए कदम से निश्चित रूप से उथल-पुथल मचने की संभावना है।

अब देखना है कि दिल्ली से लौटने के बाद वे कौन सा बड़ा निर्णय लेते हैं।

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