बिहार की राजनीति में एक बार फिर से शराबबंदी का मुद्दा गरमा गया है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी द्वारा शराबबंदी हटाने की बात पर जदयू का तीखा रिएक्शन आया है, जिससे सियासी घमासान की आशंका बढ़ गई है।
प्रशांत किशोर का बयान और जदयू की प्रतिक्रिया
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में बिहार में शराबबंदी कानून को हटाने की बात की, जिससे राज्य में विवाद पैदा हो गया है।
जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने प्रशांत किशोर के इस बयान को महात्मा गांधी का अपमान बताया है।
कुशवाहा का कहना है कि शराबबंदी के कारण बिहार में घरेलू हिंसा में कमी आई है, और महिलाएं इस कानून को खत्म करने के किसी भी विचार का समर्थन नहीं करेंगी।
महात्मा गांधी का अपमान या सियासी दांव?
कुशवाहा ने कहा कि गांधी जयंती के अवसर पर शराबबंदी हटाने की बात करना महात्मा गांधी और उनके विचारों का अपमान है।
उन्होंने याद दिलाया कि गांधी जी शराब को सामाजिक बुराई मानते थे, और प्रशांत किशोर के इस बयान से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
कुशवाहा ने यह भी जोड़ा कि शराबबंदी के चलते बिहार में सामाजिक सुधार हुए हैं, और इसे खत्म करने की कोई भी कोशिश राज्य को पीछे ले जाएगी।
शराबबंदी से आई घरेलू हिंसा में कमी
जदयू का दावा है कि शराबबंदी के कारण महिलाओं के खिलाफ होने वाली घरेलू हिंसा में भारी कमी आई है।
कुशवाहा ने प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें सामाजिक सुधारों की परवाह नहीं है।
कुशवाहा का आरोप है कि प्रशांत किशोर सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।
जन सुराज पार्टी 2025 चुनाव में नहीं टिक पाएगी
कुशवाहा ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को 2025 के विधानसभा चुनावों में “राजनीतिक छुरछुरी” करार दिया, जो ज्यादा असर नहीं डाल पाएगी।
उनके अनुसार, बिहार की जनता, विशेषकर महिलाएं, शराबबंदी कानून को खत्म करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेंगी।
प्रशांत किशोर की मानसिकता उजागर: शीला मंडल
बिहार की परिवहन मंत्री शीला मंडल ने भी प्रशांत किशोर के बयान की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि गांधी जयंती के दिन शराबबंदी हटाने की बात करना प्रशांत किशोर की “असली मानसिकता” को दर्शाता है।
मंडल का कहना है कि प्रशांत किशोर को इस बात की जानकारी नहीं है कि शराबबंदी ने कितने घरों में शांति और खुशहाली लौटाई है।
शराबबंदी का समाज पर प्रभाव
परिवहन मंत्री ने कहा कि शराबबंदी के कारण समाज में अमन-चैन का माहौल बना हुआ है।
आज कोई व्यक्ति शराब पीकर सड़कों पर हुड़दंग नहीं कर सकता। उन्होंने प्रशांत किशोर पर आरोप लगाया कि वे जमीनी हकीकत से अनजान हैं और उन्हें यह अंदाजा नहीं है कि शराबबंदी का समाज पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
निष्कर्ष
बिहार में शराबबंदी एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन गया है। जदयू और प्रशांत किशोर के बीच इस पर जारी बहस से यह साफ है कि अगले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
जहां जदयू इसे गांधी के विचारों और सामाजिक सुधारों से जोड़कर देख रहा है, वहीं प्रशांत किशोर इसे एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस मुद्दे पर किसका साथ देती है।
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