Ranchi : झारखंड का प्रमुख लोकपर्व करमा पूजा आज रांची जिले के विभिन्न विद्यालयों में बड़े उत्साह और सांस्कृतिक जोश के साथ मनाया गया। यह पर्व प्रकृति, भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और सामूहिक एकजुटता का प्रतीक माना जाता है।

करमा पर्व का महत्व और परंपरा

करमा पर्व झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण त्योहार है। यह उत्सव फसल, समृद्धि और भाईचारे का संदेश देता है। इस दिन करम वृक्ष की पूजा की जाती है और बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। सामूहिक नृत्य और करमा गीत इस पर्व की विशेषता हैं।

विद्यालयों में बच्चों की सहभागिता

रांची जिले के लगभग 2100 विद्यालयों में करमा पर्व का विशेष आयोजन हुआ, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर बच्चों ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य प्रस्तुत किया, करमा गीत गाए और करमा पर्व की कथा सुनाकर संस्कृति से जुड़ाव दिखाया।

कार्यक्रम का आयोजन जिला शिक्षा अधीक्षक बादल राज के कल्चरल कनेक्ट प्रोग्राम के तहत किया गया। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अपनी लोक संस्कृति और पारंपरिक विरासत से जोड़ना था।

करमा गीत और नृत्य से गूंजे विद्यालय

गवर्नमेंट मिडिल स्कूल, नवीन आरक्षी में छात्रा रेशमी उरांव ने मधुर करमा गीत प्रस्तुत किया, जिसने पूरे विद्यालय परिसर को उत्साह और भक्ति से भर दिया। वहीं, बच्चों के सामूहिक नृत्य ने भाईचारे और एकता का संदेश दिया।

शिक्षिका जया प्रभा ने बताया कि शाम के समय गांवों में महिलाएं और बहनें व्रत रखती हैं, करम वृक्ष की शाखा की पूजा करती हैं और इसके बाद सामूहिक नृत्य-गीत से पर्व का समापन होता है।

संस्कृति और शिक्षा का संगम

करमा पर्व के इस आयोजन ने छात्रों को अपनी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक मूल्यों से जुड़ने का अवसर प्रदान किया। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कार्यक्रम न केवल बच्चों को लोककला और संस्कृति के करीब लाते हैं, बल्कि सामाजिक समरसता और भाईचारे को भी मजबूत करते हैं।

इसे भी पढ़ें

झारखंड पुलिस ट्रेड संवर्ग की सीमित विभागीय परीक्षा 24 सितंबर को रांची में

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version