रामगढ़। झारखंड में कुड़मी समाज द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर रेल टेका डहर छेका आंदोलन तेज हो गया है। इसी कड़ी में शनिवार को बड़ी संख्या में कुड़मी आंदोलनकारी रामगढ़ जिले के बरकाकाना रेलवे स्टेशन पहुंचकर बैरिकेडिंग तोड़कर परिसर में घुस गए और रेल ट्रैक पर बैठकर जाम लगाया।

कुड़मी आंदोलनकारियों ने तोड़ी बैरिकेडिंग, स्टेशन परिसर में नारेबाजी

बरकाकाना स्टेशन पर सुबह से ही कुड़मी समुदाय के लोग विभिन्न इलाकों से ढोल-नगाड़ों के साथ पहुंचे। पुलिस और आरपीएफ की ओर से रोकने की कोशिश की गई, लेकिन आंदोलनकारी बैरिकेडिंग तोड़कर स्टेशन परिसर में दाखिल हो गए। इसके बाद बड़ी संख्या में आंदोलनकारी रेल पटरी पर बैठकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

पुलिस और प्रशासन की कड़ी निगरानी

बरकाकाना रेलवे स्टेशन पर हालात को नियंत्रित करने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल, आरपीएफ और जीआरपी जवानों की तैनाती की गई है। पतरातू के सीओ और बरकाकाना ओपी प्रभारी मौके पर मौजूद हैं। प्रशासन स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

कुड़मी समाज की मुख्य मांगें

आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग है कि कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाए। इसके अलावा, कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दिलाने की मांग भी की जा रही है। आंदोलनकारी नेताओं ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक विरोध जारी रहेगा।

रेल परिचालन पर पड़ा असर

रेल जाम के कारण कई ट्रेनों के परिचालन पर असर पड़ा है।

  • 53348 बरवाडीह-गोमो पैसेंजर और 53357 बरकाकाना-डेहरी ऑन सोन पैसेंजर को रद्द कर दिया गया।
  • 18309 जम्मूतवी-संबलपुर एक्सप्रेस का रूट डायवर्ट कर लोहरदगा मार्ग से रांची की ओर भेजा गया।
  • 13348 पटना-बरकाकाना पलामू एक्सप्रेस को टोरी में शॉर्ट-टर्मिनेट किया गया।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार स्थिति सामान्य होने तक कई अन्य ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहेगा।

आंदोलन का व्यापक असर

रामगढ़ सहित आसपास के जिलों से लगातार कुड़मी समाज के लोग आंदोलन में शामिल होने के लिए बरकाकाना पहुंच रहे हैं। रेल ट्रैक जाम होने से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक साधनों का सहारा लेना पड़ा।

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