RANCHI (JHARKHAND): विश्व जनसंख्या दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में अभियान निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड, शशि प्रकाश झा ने खुलासा किया कि झारखंड की वर्तमान जनसंख्या वृद्धि दर 1.25% है, जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 0.90% है। इस बात ने राज्य में संसाधन बल पर बढ़ते दबाव और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर चिंताएँ तेज कर दी हैं।

जनसंख्या वृद्धि दर और संभावित नुकसान

संसाधन-संवित्तरता की सीमा का हवाला देते हुए शशि प्रकाश झा ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण बुनियादी सुविधाओं—जैसे पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर दबाव बढ़ेगा। गुणवत्ता पूर्ण जीवन (Quality of Life) को मौजूदा रफ्तार से बनाए रखना बड़े पैमाने पर चुनौतियों से भरा हो सकता है।

स्वास्थ्य और परिवार नियोजन दिशा-निर्देश

डॉ. सिद्धार्थ सान्याल, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं ने अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों को अपनाने पर बल देते हुए युवा जोड़ों को व्यवस्थित परिवार नियोजन की आवश्यकता बताई। गर्भावस्था की उम्र को शारीरिक और मानसिक दोनों दृष्टियों से तैयार करने की बात कही गई।

झारखंड में प्रजनन दर 2.3

सदर अस्पताल के सिविल सर्जन, डॉ. प्रभात कुमार ने एनएफएचएस‑5 के आंकड़ों का हवाला देते हुए उल्लेख किया कि राज्य की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) 2.3 पहुंच गई है। यह आंकड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, पर्यावरणीय क्षति, और संसाधन उपयोग की क्षमता पर प्रत्यक्ष दबाव का संकेत देता है।

विकल्पयुक्त परिवार नियोजन का प्रसार

परिवार नियोजन की नोडल अधिकारी डॉ. पुष्पा ने बताया कि ‘बास्केट ऑफ चॉइस’ की अवधारणा के तहत आधुनिक और पारंपरिक विधियों की जानकारी ग्रामीण महिलाओं तक पहुँचाई जा रही है। इस पहल का उद्देश्य बड़े परिवार वाले तथा किशोर विवाह में कमी लाना है।

जनजागरण अभियान और वीडियो अनावरण

शशि प्रकाश झा द्वारा परिवार नियोजन पर आधारित पब्लिक वीडियो का अनावरण किया गया, जिसे अब सहिया ऐप पर भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस अवसर पर जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाई गई और पोस्टर तथा सेल्फ-केयर किट वितरित की गईं। कलाकारों ने लोकगीत “खुशी का मंत्र रखना याद” और “दूसरा बच्चा 3 साल बाद” के माध्यम से संदेश प्रस्तुत किया, जिससे परिवार नियोजन का महत्व सटीक रूप से प्रसारित हो सके।

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