रांची/चतरा: टंडवा में कोयला परिवहन (Coal Transport) करने वाली कंपनी तुलि माइनिंग (Tuli Mining) पर करीब 9 करोड़ रुपये बकाया भुगतान न करने का आरोप है। इस मामले में दिसंबर 2024 में अपराध अनुसंधान विभाग (CID Jharkhand) में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। लेकिन 9 माह बीत जाने के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

ट्रांसपोर्टरों के बकाया भुगतान पर संकट

जानकारी के अनुसार, मोनिका इंटरप्राइजेज (Monica Enterprises) नामक कंपनी ने तुलि माइनिंग पर यह मामला दर्ज कराया था। टंडवा निवासी सुरेश यादव ने 3 दिसंबर 2024 को CID के ADG को आवेदन सौंपा था, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई। आरोप है कि तुलि माइनिंग ने 31 मार्च 2022 से 31 मार्च 2023 तक कोयले की ढुलाई का काम कराया, लेकिन उसका पूरा भुगतान नहीं किया।

कोयला ट्रांसपोर्टिंग का करार और अधूरा भुगतान

प्राथमिकी के मुताबिक तुलि माइनिंग कंपनी ललितपुर पावर जेनरेशन, प्रयागराज पावर जेनरेशन कंपनी, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, जेपी नगरी और जेपी थर्मल पावर समेत कई कंपनियों के लिए कोयले की ट्रांसपोर्टिंग करती थी।
मोनिका इंटरप्राइजेज ने टंडवा की आम्रपाली कोल परियोजना (Amrapali Coal Project) से पतरातू, बालूमाथ, कुजू, बुकरु और कुसमाही जैसे रेलवे साइडिंग तक कोयले की आपूर्ति की।

इस अवधि में कुल 16,65,74,228 रुपये का बिल बना, जिसमें से तुलि माइनिंग ने केवल 7,71,68,000 रुपये का भुगतान किया। शेष 8,94,06,228 रुपये अब तक बकाया है।

सैकड़ों ट्रक मालिक प्रभावित

भुगतान न मिलने से न सिर्फ मोनिका इंटरप्राइजेज बल्कि उससे जुड़े सैकड़ों ट्रक मालिकों और चालकों पर भी आर्थिक संकट गहरा गया है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि लंबे समय से बकाया अटका हुआ है, जिससे वे कर्ज और रोज़मर्रा के खर्चों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

कार्रवाई को लेकर सवालों के घेरे में CID

ट्रांसपोर्टरों का आरोप है कि एफआईआर दर्ज हुए 9 महीने बीत चुके हैं, लेकिन CID ने अभी तक जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं की। इससे प्रभावित लोग निराश हैं और सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी रकम के बकाया मामले में कार्रवाई क्यों लंबित है।

ट्रांसपोर्टरों की मांग

ट्रांसपोर्टरों और ट्रक मालिकों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि तुलि माइनिंग पर जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई हो और बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित कराया जाए। उनका कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

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