भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव
शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद बांग्लादेश और भारत के बीच रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा भारत सहित पांच देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला इसे और बढ़ाता दिख रहा है।
भारत में उच्चायुक्त मुस्तफिजुर रहमान भी उन राजदूतों में शामिल हैं जिन्हें वापस बुलाया गया है।
यह निर्णय तब आया है जब हसीना सरकार के पतन के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में पहले से ही तनातनी देखी जा रही है।
किन देशों से वापस बुलाए गए राजदूत?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जिन पांच देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाया है, उनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र शामिल हैं।
इनमें से कुछ राजदूत, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि और अन्य देशों में तैनात राजदूत, जल्द ही रिटायर होने वाले थे।
भारत में उच्चायुक्त मुस्तफिजुर रहमान का कार्यकाल
मुस्तफिजुर रहमान जुलाई 2022 में भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त नियुक्त किए गए थे।
उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारत-बांग्लादेश के बीच विकास सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
उनके नेतृत्व में दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर काम हुआ था।
शेख हसीना के बाद बदलते समीकरण

शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने और छात्र संगठनों के प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल में बड़े बदलाव देखे गए।
हसीना सरकार के पतन के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव आना शुरू हो गया था। हसीना के भारत में शरण लेने के बाद से स्थिति और जटिल हो गई है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कई फैसलों को पलटा है, जो पूर्ववर्ती हसीना सरकार द्वारा लिए गए थे।
भारत की ओर से संबंध सुधारने की कोशिशें
हालांकि, भारत ने लगातार संबंधों को सामान्य बनाए रखने के प्रयास किए हैं।
भारत सरकार का रुख अभी भी सकारात्मक है और वह दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने के प्रयासों में जुटी हुई है।
लेकिन बांग्लादेश द्वारा अपने राजदूतों को वापस बुलाने का यह कदम दोनों देशों के बीच भविष्य के संबंधों पर सवाल खड़े कर रहा है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश और भारत के बीच रिश्तों में खटास एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के हालिया फैसले, जिसमें राजदूतों की वापसी शामिल है, इसे और गहरा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश कैसे अपने रिश्तों को सुधारने के प्रयास करते हैं और राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर से उभरते हैं।
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