रांची : झारखंड में बालू घाटों की नीलामी और उससे जुड़ी नीतियों को लेकर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जो सरकार खुद को अबुआ सरकार कहकर स्थानीयों को रोजगार देने का दावा करती है, वही आज उन्हीं के अधिकार छीनकर माफियाओं और बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा रही है।

बालू घाटों की नीलामी पर विवाद

मरांडी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि झारखंड में अब तक पेसा कानून लागू नहीं हुआ है। इसी कारण हाल ही में हाईकोर्ट ने बालू घाटों पर रोक लगाई थी। उनके अनुसार, बालू घाट, हाट-बाजार और मेला से टैक्स वसूलने का अधिकार पंचायत और ग्राम सभा को होना चाहिए, लेकिन सरकार ये अधिकार देने से बच रही है।

बड़े ग्रुप्स को टेंडर देने पर सवाल

बाबूलाल मरांडी ने बताया कि सरकार ने बालू घाटों को बड़े ग्रुप्स में डालकर टेंडर निकाले हैं। उदाहरण स्वरूप –

  • गोड्डा : ग्रुप A – 16 घाट
  • जामताड़ा : ग्रुप A – 15, ग्रुप B – 5
  • दुमका : ग्रुप A – 14, ग्रुप B – 12, ग्रुप C – 5
  • गिरिडीह : ग्रुप A – 3, B – 2, C – 3, D – 6, E – 2
  • सरायकेला-खरसावां : ग्रुप A – 4, B – 7
  • पूर्वी सिंहभूम : ग्रुप A – 3, B – 2

उन्होंने कहा कि सरकार ने इन टेंडरों के लिए 15 करोड़ रुपये वार्षिक टर्नओवर की शर्त रखी है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि झारखंड का कोई बेरोजगार युवा या स्थानीय उद्यमी इस शर्त को पूरा नहीं कर पाएगा।

सरकार की नीयत पर बाबूलाल के आरोप

मरांडी ने आरोप लगाया कि सरकार की नीति पूरी तरह से स्थानीय युवाओं, आदिवासियों और बेरोजगारों को दरकिनार करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने कहा कि शराब नीति में घोटाले के बाद अब बालू घाटों को भी माफिया तंत्र के हवाले करने की तैयारी चल रही है।

पंचायतों को अधिकार देने की मांग

उन्होंने कहा कि बार-बार आग्रह किया गया कि बालू घाटों की नीलामी न की जाए और इसके संचालन का अधिकार स्थानीय पंचायतों को कमिशन बेसिस पर दिया जाए। इसके बावजूद सरकार ने हर बार इन मांगों को नजरअंदाज किया।

मरांडी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह सच में अबुआ सरकार है और स्थानीयों के हित की बात करती है तो बालू घाटों का नियंत्रण ग्राम सभा और पंचायतों को सौंपे, अन्यथा यह स्पष्ट है कि सरकार माफिया के इशारे पर काम कर रही है।

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