रांची (झारखंड): सावन की दूसरी सोमवारी पर रांची स्थित पहाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ पड़ा। अहले सुबह से ही हजारों की संख्या में शिव भक्तों ने “बोल बम” के जयघोष के साथ स्वर्णरेखा नदी से जल उठाकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। मंदिर परिसर में हर-हर महादेव और ओम नमः शिवाय के नारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।

सुबह 3 बजे से शुरू हुआ शिव भक्तों का पहुंचना

सोमवार तड़के 3 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। श्रद्धालु स्वर्णरेखा नदी से जल भरकर पैदल यात्रा करते हुए पहाड़ी मंदिर तक पहुंचे। शिवलिंग पर अरघा सिस्टम के माध्यम से जल चढ़ाया गया। इस विशेष व्यवस्था ने भक्तों को लंबी कतारों के बावजूद सहज पूजा का अवसर दिया। श्रद्धालुओं ने कहा कि पहाड़ी मंदिर में जल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

भक्तों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि

पिछले सोमवार की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, सावन की दूसरी सोमवारी को करीब पचास हजार से अधिक भक्तों ने पूजा-अर्चना की। रांची जिला प्रशासन ने इस अवसर पर विशेष सुरक्षा और सुविधा इंतजाम किए थे।

सुरक्षा व्यवस्था सख्त, CCTV से निगरानी

भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था। CCTV कैमरों के जरिए मंदिर परिसर और आसपास की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही थी। प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग मार्ग निर्धारित किए थे, जिससे अव्यवस्था न फैले।

ट्रैफिक पुलिस की विशेष टीम ने मंदिर के आसपास यातायात को सुचारू बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाई। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए विशेष सहायता काउंटर और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की भी व्यवस्था की गई थी।

महाकाल मंदिर में विशेष पूजा अनुष्ठान

महाकाल मंदिर परिसर में स्थित भगवान शिव के त्रिशूल और डमरू की विशेष पूजा की गई। धार्मिक मान्यता है कि सावन में इन पवित्र प्रतीकों की पूजा करने से आध्यात्मिक ऊर्जा, साहस और शांति की प्राप्ति होती है। भक्तों ने दूर-दूर से आकर त्रिशूल और डमरू का स्पर्श किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। पुजारियों के अनुसार, हर सावन में यह विशेष पूजन अनुष्ठान सम्पन्न कराया जाता है।

साफ-सफाई और सुविधा पर विशेष ध्यान

श्रद्धालुओं के सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन ने पेयजल, मोबाइल शौचालय, प्राथमिक चिकित्सा सेवा समेत सभी जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की थीं। स्वच्छता कर्मचारियों की टीम मंदिर प्रांगण और उसके चारों ओर सफाई व्यवस्था में जुटी रही। पूरे दिन विशेष ध्यान मंदिर के अंदर और बाहर भीड़ प्रबंधन पर केंद्रित रहा।

आस्था और अनुशासन का संगम

सावन की दूसरी सोमवारी को रांची के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर में श्रद्धा, आस्था और अनुशासन का एक बेहतरीन संगम देखने को मिला। हर उम्र के श्रद्धालु – बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग – हाथों में जलकलश लेकर मंदिर की 468 सीढ़ियां चढ़ते नजर आए। भक्तों ने कहा कि यह अनुभव केवल पूजा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना जैसा होता है।

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