रांची (झारखंड): झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (JSSC-CGL Paper Leak Case) से जुड़े बहुचर्चित मामले में सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले को रिजर्व (Reserved Judgment) कर लिया है। यह मामला पूरे झारखंड में लाखों अभ्यर्थियों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
इसी बीच, पेपर लीक प्रकरण को लगातार उठाने वाले कुणाल प्रताप सिंह और प्रकाश पोद्दार को झारखंड CID की ओर से नोटिस (CID Notice) भेजा गया है, जिससे विवाद और गहराता जा रहा है।

JSSC-CGL पेपर लीक प्रकरण में हाईकोर्ट की सुनवाई पूरी, फैसला जल्द

झारखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने सोमवार को मामले पर लंबी सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं की ओर से CBI जांच (CBI Inquiry Demand) की मांग की गई, जबकि राज्य सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि CID पहले से ही जांच कर रही है और कई गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में इस मामले में हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश आ सकता है।

मुद्दा उठाने वालों को CID का नोटिस, अभ्यर्थियों में नाराजगी

इधर, पेपर लीक मामले को सार्वजनिक करने और सोशल मीडिया के माध्यम से साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले कुणाल प्रताप सिंह और प्रकाश पोद्दार को CID ने नोटिस जारी किया है।
नोटिस कांड संख्या 02/2025 के तहत भेजा गया है, जिसे JSSC ने दर्ज कराया था। आयोग का कहना है कि “कुछ व्यक्तियों ने पेपर लीक को लेकर भ्रामक सूचनाएं फैलाकर आयोग की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।”
इस कदम के बाद अभ्यर्थियों में नाराजगी फैल गई है। कई छात्रों ने सोशल मीडिया पर इसे “सत्य उजागर करने वालों पर कार्रवाई” करार दिया है।

पेपर लीक मामले में पहले हो चुकी है गिरफ्तारी

इस प्रकरण में झारखंड सरकार के अधिकारी संतोष मस्ताना को पहले ही CID द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है।
उन्होंने खुद पेपर लीक से जुड़ी व्हाट्सएप चैट और डिजिटल साक्ष्य जमा कराए थे।
मगर जांच के बाद उन्हें कथित रूप से गलत सूचना फैलाने के आरोप में जेल भेजा गया।
मामले में जिन दीपिका कुमारी और मनीष कुमार के बयान पर कार्रवाई की गई थी, वे दोनों इस परीक्षा में इंटरवेनर (हस्तक्षेपकर्ता) हैं और उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सूची में शामिल हैं।

अभ्यर्थियों की मांग – पारदर्शी जांच और परिणाम पर रोक

JSSC-CGL परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों का कहना है कि यह मामला सिर्फ पेपर लीक नहीं बल्कि परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता से जुड़ा है।
उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि CBI या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए, ताकि सभी पक्षों की पारदर्शिता बनी रहे।
फिलहाल, हाईकोर्ट द्वारा परीक्षा परिणाम के प्रकाशन पर लगाई गई रोक जारी है।

राज्य सरकार और आयोग पर उठ रहे सवाल

राज्य सरकार और JSSC पर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि परीक्षा के दौरान हुई गड़बड़ियों को लेकर समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
कई छात्रों ने आरोप लगाया है कि जांच के नाम पर वास्तविक दोषियों को बचाया जा रहा है, जबकि जिन्होंने मुद्दा उठाया, उन्हीं पर नोटिस भेजा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, CID की टीम जल्द ही कई और अभ्यर्थियों व अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।

झारखंड में भर्ती परीक्षाओं की साख दांव पर

JSSC-CGL परीक्षा झारखंड की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा है, जिसमें लाखों अभ्यर्थी शामिल होते हैं।
पेपर लीक प्रकरण के बाद राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।
राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर राज्यव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस मामले में पारदर्शिता नहीं लाई गई, तो यह झारखंड की पूरी भर्ती प्रणाली पर असर डाल सकता है।

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