बहरागोड़ा (झारखंड): झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने मंगलवार को युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी प्रतिभा, ऊर्जा और ज्ञान का उपयोग राष्ट्र निर्माण और समाज कल्याण के लिए करें। वे पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा में आशीर्वाद संस्था द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे, जिसमें 10वीं और 12वीं कक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।

झारखंड गवर्नर ने शिक्षा को बताया सामाजिक जिम्मेदारी का आधार

राज्यपाल गंगवार ने कहा कि “शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी या व्यक्तिगत प्रगति नहीं है, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित करना भी इसका महत्वपूर्ण पहलू है।” उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को चाहिए कि वह विज्ञान, तकनीक और नवाचार के जरिए स्थानीय समस्याओं का समाधान निकाले।

राज्यपाल ने यह भी कहा कि झारखंड सरकार उच्च शिक्षा के विस्तार और गुणवत्ता सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत है, लेकिन इसके लिए प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की नींव को भी मजबूत करना आवश्यक है।

बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक बहरागोड़ा को बताया राज्य की शान

संतोष गंगवार ने अपने संबोधन में कहा कि बहरागोड़ा क्षेत्र बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है और यहां के लोगों ने शिक्षा, कला और समाज सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने इस आयोजन को केवल एक पुरस्कार वितरण समारोह नहीं, बल्कि संस्कार, परिश्रम और सामाजिक मूल्य का उत्सव बताया।

विद्युत वरण महतो ने झारखंड में विश्वविद्यालय की स्थापना पर दिया जोर

समारोह में लोकसभा सांसद विद्युत वरण महतो ने बहरागोड़ा को एक उभरता हुआ शैक्षिक केंद्र बताया और कहा कि यहां विश्वविद्यालय की स्थापना से न केवल झारखंड बल्कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा के छात्र भी लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र प्रारंभ से ही शिक्षा के प्रति जागरूक रहा है।

छात्र-छात्राओं के साथ आत्मीय संवाद और सादगीपूर्ण भोजन

समारोह के अंत में राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं के साथ संवाद किया और सादगीपूर्ण भोजन भी किया। उनके इस व्यवहार ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को प्रभावित किया। लोग उन्हें प्यार से “पीपुल्स गवर्नर” कहने लगे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक, समाजसेवी और अभिभावक भी मौजूद थे।

राज्यपाल का आह्वान: नवाचार, तकनीकी और शिक्षा को बनाएं भविष्य का आधार

राज्यपाल ने युवाओं से आग्रह किया कि वे देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं और उन्हें चाहिए कि नवाचार, अनुशासन और तकनीकी दक्षता को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल प्रतिभा को सम्मानित करते हैं, बल्कि समाज को मूल्य आधारित प्रेरणा भी देते हैं।

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