हजारीबाग (झारखंड)। झारखंड के हजारीबाग जिले से एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। चौपारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के प्रभारी डॉ. सतीश कुमार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम ने 3,000 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई ममता वाहन सेवा के संचालक उज्ज्वल सिन्हा की लिखित शिकायत के आधार पर की गई, जिसने हेल्थ डिपार्टमेंट की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

CHC प्रभारी ने बकाया बिल पर हस्ताक्षर के लिए मांगी थी रिश्वत

शिकायतकर्ता उज्ज्वल सिन्हा ने ACB को बताया था कि उनके द्वारा स्वास्थ्य विभाग को ममता वाहन सेवा के तहत जो सेवाएं दी गई थीं, उनका ₹25,000 का बकाया भुगतान लंबित है। जब उन्होंने भुगतान के लिए बिलों पर हस्ताक्षर की मांग की, तो CHC प्रभारी डॉ. सतीश कुमार ने उसके बदले ₹3,000 रिश्वत की मांग की। शिकायत मिलने के बाद ACB ने पहले गोपनीय जांच की, जिसमें आरोप सही पाए गए।

रिश्वत लेते CHC प्रभारी रंगेहाथ गिरफ्तार, कार्यालय में हुई कार्रवाई

ACB की टीम ने पूर्व नियोजित ट्रैप ऑपरेशन के तहत डॉ. सतीश कुमार को उनके कार्यालय में रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा। गिरफ्तारी के बाद उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत केस दर्ज कर हिरासत में लिया गया है। इस पूरी कार्रवाई से हजारीबाग जिला स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।

हेल्थ डिपार्टमेंट की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, CHC चौपारण की छवि पर असर

चौपारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई इस गिरफ्तारी ने स्वास्थ्य विभाग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह कोई पहला मामला नहीं है जब स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और अनियमितता के आरोप लगे हों। इस घटना ने विभाग की साख पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो की सक्रियता से जनता में बढ़ा विश्वास

ACB की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि राज्य में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जा रही है। इस प्रकार की कार्यवाही से जनता के बीच सतर्कता और शिकायत दर्ज कराने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा, विशेष रूप से जब यह स्वास्थ्य सेवाओं जैसी संवेदनशील व्यवस्था से जुड़ा हो।

स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग तेज

मामले के प्रकाश में आने के बाद आम नागरिकों और स्थानीय संगठनों ने स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता लाने, जवाबदेही तय करने और भ्रष्टाचार की निगरानी हेतु सख्त कदम उठाने की मांग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल बिल ट्रैकिंग सिस्टम, जवाबदेह ऑडिट प्रक्रिया और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत कर ऐसे मामलों पर रोक लगाई जा सकती है।

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