रांची (Jharkhand): झारखंड में J-TET 2025 परीक्षा से कई क्षेत्रीय भाषाओं को हटाए जाने को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व गोड्डा के पूर्व विधायक अमित मंडल ने शनिवार को प्रेस वार्ता कर हेमंत सोरेन सरकार पर क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने इसे राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ अन्याय बताया और सरकार की नीति को “पहचान की राजनीति” करार दिया।

J-TET 2025 से अंगिका, भोजपुरी, मुंडारी जैसी भाषाओं को हटाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया

प्रेस वार्ता में अमित मंडल ने कहा कि J-TET 2025 से अंगिका, भोजपुरी, मुंडारी और कुरमाली जैसी भाषाओं को जानबूझकर हटाया गया है, जबकि इन्हीं भाषाओं में विधायक और मंत्री शपथ ले रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि इन भाषाओं को शपथ लेने के लिए मान्यता प्राप्त है, तो उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा से क्यों हटाया गया?

भाजपा का आरोप: क्षेत्रीय भाषाओं को हटाना युवाओं के साथ अन्याय

भाजपा प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि पार्टी किसी भी भाषा के विरोध में नहीं है, लेकिन यह कदम युवाओं के रोजगार के अवसर छीनने और समाज में टकराव पैदा करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर युवाओं को आपस में लड़वाने की कोशिश झारखंड सरकार की मंशा को उजागर करती है।

अमित मंडल ने कहा, “सरकार की मंशा नौकरी देने की नहीं, बल्कि पहचान की राजनीति कर झूठे वादों से युवाओं को गुमराह करने की है। यह सरकार अबुआ नहीं बबुआ सरकार बनकर रह गई है।”

झारखंड के जिलों को भाषाई पहचान से वंचित करने का आरोप

गोड्डा, पलामू और गढ़वा जैसे जिलों की भाषाओं को टीईटी की मान्यता से बाहर करने को लेकर भी भाजपा ने सरकार पर तीखा हमला बोला। मंडल ने सवाल किया, “क्या गोड्डा, पलामू और गढ़वा झारखंड का हिस्सा नहीं हैं? यदि हैं, तो वहां की भाषाओं को किस आधार पर दरकिनार किया गया?”

आंदोलन की चेतावनी, भाजपा सड़कों पर उतरेगी

भाजपा नेता ने कहा कि यदि सरकार ने भाषाओं के साथ अन्याय बंद नहीं किया, तो भाजपा जनजातीय समाज और क्षेत्रीय भाषा प्रेमियों के साथ मिलकर आंदोलन करेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि सड़क से विधानसभा तक संघर्ष किया जाएगा, और सरकार को जवाब देना होगा कि झारखंड की संस्कृति और भाषा की पहचान के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है

भाजपा शासनकाल में क्षेत्रीय भाषाओं को दी गई थी मान्यता

अमित मंडल ने यह भी याद दिलाया कि भाजपा शासनकाल में ही अंगिका, भोजपुरी, मुंडारी और अन्य भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी। उनका आरोप है कि हेमंत सरकार इन मान्यताओं को समाप्त कर रही है, जिससे हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है।

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