रांची: झारखंड की राजनीति में एक नया विवाद गहराने लगा है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि मंगलवार देर रात भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) की टीम ने गुप्त तरीके से उत्पाद विभाग से भारी मात्रा में कागजात हटाए। मरांडी ने इसे संदिग्ध कार्रवाई करार दिया और सरकार से सीधी सफाई मांगी।

बाबूलाल मरांडी का दावा – गुप्त तरीके से हुई कार्रवाई

मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और एक्स (Twitter) पर लिखा कि यह कार्रवाई आधी रात को की गई और एक ट्रक भरकर दस्तावेज विभाग से बाहर ले जाए गए। उन्होंने कहा कि अगर कार्रवाई पारदर्शी और वैध थी तो इसे छिपाकर क्यों किया गया।

डीजीपी पर हस्तक्षेप का आरोप

नेता प्रतिपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि इस कार्रवाई में राज्य के डीजीपी का सीधा हस्तक्षेप और निगरानी रही। उन्होंने कहा कि यह कदम सामान्य जांच प्रक्रिया का हिस्सा नहीं लगता, बल्कि इसमें भ्रष्टाचार के सबूतों को छिपाने की आशंका है।

मुख्यमंत्री से जवाब और जांच की मांग

मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल पूछा कि क्या यह कार्रवाई उनकी जानकारी और सहमति से की गई थी। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी दस्तावेज नष्ट न हो।

बाबूलाल मरांडी के आरोप –

  • आधी रात को एक ट्रक भरकर कागजात हटाए गए।
  • भ्रष्टाचार और घोटालों के सबूत मिटाने की कोशिश की जा रही है।
  • कार्रवाई चुनिंदा अधिकारियों और राजनीतिक सरगनाओं को बचाने के लिए की गई।
  • ED और CBI की संभावित जांच से पहले साक्ष्यों को नष्ट करने का प्रयास।
  • पूर्व में भी ACB द्वारा फाइलें हटाए जाने से शराब दुकानों के आवंटन पर असर पड़ा और राजस्व हानि की आशंका बनी।

झारखंड की सियासत में गरमाहट

बाबूलाल मरांडी के इन आरोपों के बाद झारखंड की राजनीति में नया सियासी घमासान शुरू हो गया है। विपक्ष लगातार सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर हमलावर है, वहीं अब निगाहें सरकार की ओर हैं कि वह इस मामले पर क्या रुख अपनाती है।

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