नई दिल्ली में सेमीकॉन इंडिया 2025 का आयोजन
नई दिल्ली: नई दिल्ली में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में देशभर के तकनीकी संस्थानों और वैश्विक कंपनियों ने भाग लिया। इस मंच पर आईआईटी (आईएसएम) धनबाद द्वारा विकसित स्वदेशी चिप APEEC-1 को विशेष पहचान मिली। यह चिप संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार रंजन के नेतृत्व में तैयार की गई है।
APEEC-1 चिप: स्वदेशी तकनीक में बड़ी उपलब्धि
APEEC-1 एक लो-पावर एनालॉग मेमरेस्टर एमुलेटर है, जिसे मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL) के चिपइन सेंटर में डिजाइन किया गया। यह चिप जैविक सिनेप्स (Biological Synapse) की कार्यप्रणाली की नकल करती है और स्पाइक डेंसिटी डिपेंडेंट प्लास्टिसिटी (SDDP) जैसे एडवांस्ड लर्निंग मैकेनिज्म को सक्षम बनाती है।
तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, यह चिप न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग, स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क, एज एआई डिवाइस और क्रॉसबार एरेज में इस्तेमाल की जा सकती है। 1 से 30 मेगाहर्ट्ज तक की स्पीड के साथ यह कम ऊर्जा खपत में तेज प्रदर्शन देती है। इससे यह रीयल-टाइम लर्निंग सिस्टम और एडवांस्ड एआई एप्लिकेशंस के लिए उपयोगी साबित होगी।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश और डिजिटल विजन
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। उन्होंने सेमीकंडक्टर तकनीक को 21वीं सदी का डिजिटल डायमंड बताते हुए भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर इनोवेशन हब बनाने का संकल्प दोहराया। इस अवसर पर केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसरो द्वारा तैयार किए गए देश के पहले 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम-32’ को भी प्रदर्शित किया।
इस दौरान IIT धनबाद की APEEC-1 चिप भी आकर्षण का केंद्र रही और देश में स्वदेशी चिप डिजाइन और अनुसंधान को नई पहचान दिलाई।
आत्मनिर्भर भारत मिशन से जुड़ा महत्वपूर्ण कदम
IIT (ISM) धनबाद के प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार रंजन ने कहा कि APEEC-1 भारत की सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके अनुसार, यह उपलब्धि यह साबित करती है कि शैक्षणिक रिसर्च ठोस सिलिकॉन डिजाइन में बदलकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डाल सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय तकनीकी संस्थान भी अब भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री और डिजिटल इकोनॉमी में अहम योगदान दे रहे हैं।
सेमीकॉन इंडिया 2025 में वैश्विक भागीदारी
इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में 33 देशों से आए 350 से अधिक प्रदर्शक, ग्लोबल टेक कंपनियों के सीईओ, शोधकर्ता और स्टार्टअप्स शामिल हुए। इस आयोजन ने भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और नवाचार क्षमता को वैश्विक मंच पर उजागर किया।
APEEC-1 को मिली यह पहचान न केवल IIT (ISM) धनबाद के लिए गौरव का विषय है, बल्कि भारत के लिए भी यह संदेश है कि देश अब स्वदेशी सेमीकंडक्टर तकनीक में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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