पलामू जिले के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के रेवारातू गांव में बुधवार को हुई हिंसक घटना ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। पुलिस और प्रशासनिक टीम पर हुए हमले के मामले में अब तीन नामजद आरोपियों समेत 100 से अधिक अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर (FIR in Palamu Police Attack Case) दर्ज की गई है। घटना उस समय घटी जब टीम हाईकोर्ट के आदेश के बाद बंद पड़े स्टोन माइंस (Stone Mines) को पुनः चालू कराने के लिए मौके पर पहुंची थी।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासनिक कार्रवाई

जानकारी के अनुसार, पलामू जिला प्रशासन की टीम बुधवार दोपहर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद रेवारातू गांव के पास स्थित बंद स्टोन माइंस क्षेत्र में गई थी। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस बल ने खदान संचालन को पुनः शुरू कराने की प्रक्रिया शुरू की। हालांकि, गांव के कुछ लोगों ने इसका विरोध किया और देखते ही देखते बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जुट गए।

पुलिस टीम पर भीड़ ने किया हमला

प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने अचानक पुलिस टीम पर लाठी-डंडे, रॉड और पारंपरिक हथियारों से हमला कर दिया। घटना में दो पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि कई अन्य जवानों को हल्की चोटें आईं। घायल पुलिसकर्मियों में अवधेश पासवान और हवलदार महेंद्र दुबे शामिल हैं। दोनों को तत्काल मेडिकल कॉलेज अस्पताल (MMCH Palamu) में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई है।

स्थिति नियंत्रण में, पुलिस ने किया कैंप

हमले की सूचना मिलते ही लेस्लीगंज थाना पुलिस (Lesliganj Police) ने अतिरिक्त बल को मौके पर भेजा। इसके बाद स्थिति को नियंत्रित किया गया। वर्तमान में रेवारातू गांव और आसपास के इलाकों में पुलिस बल ने कैंप कर रखा है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। प्रशासन का कहना है कि अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और माइंस क्षेत्र में काम दोबारा शुरू कर दिया गया है।

तीन नामजद और 100 से अधिक अज्ञात पर एफआईआर दर्ज

मजिस्ट्रेट संजीत कुमार के बयान के आधार पर पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। नामजद आरोपियों में रेवारातू गांव के भीम सिंह, विकास कुमार सिंह और उद्देश्वर राम शामिल हैं। इनके अलावा 100 से अधिक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
सभी पर सरकारी कार्य में बाधा डालने, पुलिस पर हमला करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और शांति भंग करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

मामले की जांच में जुटी पुलिस

लेस्लीगंज थाना प्रभारी ने बताया कि हमले में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा रही है। घटना के वीडियो फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर आरोपियों की पहचान कर उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस ने इलाके में सघन तलाशी अभियान भी चलाया है और कई संदिग्धों से पूछताछ जारी है।

प्रशासन ने की लोगों से शांति बनाए रखने की अपील

जिला प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें। उपायुक्त ने कहा कि अदालत के आदेशों का पालन करना प्रशासन की जिम्मेदारी है और किसी को भी सरकारी कार्य में बाधा डालने का अधिकार नहीं है।

नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण सतर्कता बढ़ाई गई

पलामू जिला लंबे समय से नक्सल प्रभावित इलाकों में गिना जाता है। ऐसे में इस घटना को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया है। पुलिस के अनुसार, यह हमला योजनाबद्ध था या अचानक भड़क गई भीड़ की हरकत, इसकी जांच की जा रही है।

स्थानीय प्रतिक्रिया

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वे खदान पुनः शुरू होने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें विस्थापन और मुआवजे की चिंता है। वहीं प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि खदान संचालन से पहले सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं और प्रभावित परिवारों को नियमों के अनुसार लाभ दिया जाएगा।

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