तमिलनाडु की राजनीति में एक बार फिर इतिहास खुद को दोहरा रहा है।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को उपमुख्यमंत्री (Deputy CM) का पद सौंपा गया है, जो उनके राजनीतिक कद को और बढ़ाता है।
यह फैसला तब आया जब 28 सितंबर को तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि (R.N. Ravi) ने कैबिनेट में फेरबदल की मंजूरी दी।
इस फेरबदल के अंतर्गत चार विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई और तीन मंत्रियों को कैबिनेट से हटा दिया गया।
15 साल बाद दोहराया गया इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब स्टालिन परिवार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की जोड़ी बनी हो।
2009 में, जब एम.के. स्टालिन के पिता और डीएमके के दिग्गज नेता एम. करुणानिधि (M. Karunanidhi) मुख्यमंत्री थे, तब स्टालिन खुद उपमुख्यमंत्री थे।
अब 15 साल बाद, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने बेटे उदयनिधि स्टालिन को उपमुख्यमंत्री पद पर बिठाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाया है।
कैबिनेट फेरबदल में चार नए मंत्री
उदयनिधि स्टालिन पहले से ही तमिलनाडु कैबिनेट में युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री का पद संभाल रहे थे।
अब उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने के साथ-साथ राज्यपाल से योजना और विकास विभाग आवंटित करने की सिफारिश भी की गई है।
रविवार को, राज्यपाल आर.एन. रवि की मौजूदगी में डीएमके (Dravida Munnetra Kazhagam) के चार वरिष्ठ नेताओं – वी. सेंथिलबालाजी, आर. राजेंद्रन, गोवी चोझियान और एस.एम. नासर को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
वी. सेंथिलबालाजी: विवादों में घिरे नेता
नवगठित कैबिनेट में वी. सेंथिलबालाजी का नाम भी शामिल है, जो मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत पर बाहर हैं।
उन्हें बिजली, मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री का कार्यभार सौंपा गया है।
इसके अलावा, गोवी चोझियान को उच्च शिक्षा विभाग, एस.एम. नासर को अल्पसंख्यक कल्याण और नॉन रेसिडेंट तमिल कल्याण मंत्री बनाया गया है, और आर. राजेंद्रन को पर्यटन विभाग का प्रभार दिया गया है।
राजनीतिक समीकरण और भविष्य की चुनौतियाँ
उदयनिधि स्टालिन को उपमुख्यमंत्री बनाना डीएमके की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
यह कदम पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन बनाए रखने और भविष्य की राजनीति में उदयनिधि की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है।
हालाँकि, राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों में यह देखना दिलचस्प होगा कि उदयनिधि कैसे इस नई जिम्मेदारी को निभाते हैं और क्या वह अपने पिता की तरह सफल साबित होते हैं।
यह फेरबदल तमिलनाडु की राजनीति में आने वाले समय में कई नए समीकरण बना सकता है।
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