रांची: झारखंड की निलंबित IAS अधिकारी पूजा सिंघल को 28 महीने बाद जेल से बड़ी राहत मिली है। शनिवार को रांची में PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका स्वीकार कर ली। सिंघल ने कस्टडी के आधार पर नई कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए जेल से रिहाई की अपील की थी।

अदालत ने दिया फैसला

विशेष अदालत ने जेल प्रशासन से पूजा सिंघल की न्यायिक हिरासत की पूरी अवधि की जानकारी मांगी थी। बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ने इस संबंध में अदालत में जवाब दाखिल किया। इन तथ्यों के आधार पर अदालत ने जमानत का फैसला सुनाया।

नए कानूनी प्रावधान के तहत जमानत

पूजा सिंघल के वकील ने दलील दी कि नए कानून के अनुसार, यदि किसी आरोपी की न्यायिक हिरासत की अवधि उस मामले में मिलने वाली सजा की एक-तिहाई तक पहुंच जाती है, तो उसे जमानत दी जा सकती है। सिंघल के मामले में यह शर्त पूरी हो चुकी थी।

क्या है मामला?

पूजा सिंघल पर मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं। उन पर मनरेगा फंड के दुरुपयोग और अन्य आर्थिक अनियमितताओं के मामलों में संलिप्तता का आरोप है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 2022 में उनके खिलाफ जांच शुरू की थी। छापेमारी में करोड़ों रुपये नकद बरामद किए गए थे, जिससे मामला और गंभीर हो गया।

लंबे समय से चल रही कानूनी प्रक्रिया

पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद से ही यह मामला कानूनी और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ था। 28 महीने की न्यायिक हिरासत के बाद उन्हें राहत मिलना झारखंड प्रशासन और न्यायिक प्रणाली में अहम घटनाक्रम माना जा रहा है।

आगे की प्रक्रिया

हालांकि, उनकी रिहाई का मतलब यह नहीं है कि मामला समाप्त हो गया है। मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आरोपों में कानूनी प्रक्रिया अभी जारी रहेगी।

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