3 अक्टूबर को आदिवासी दर्जे की मांग को लेकर आंदोलन तेज होगा
रांची : कुड़मी समाज ने लंबे समय से लंबित एसटी दर्जा (Scheduled Tribe Status) की मांग को लेकर आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है। इसके तहत 3 अक्टूबर को जमशेदपुर में एक विशाल रैली आयोजित की जाएगी। इस रैली में झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से हजारों की संख्या में कुड़मी समुदाय के लोग जुटेंगे।
कुड़मी नेताओं ने सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप
सोमवार को रांची प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में कुड़मी नेताओं शशांक शेखर महतो, अजीत महतो, केंद्रीय सचिव जयराम महतो, छोटे लाल महतो, विकास महतो और लालेश्वर महतो ने कहा कि यदि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जा सकता है, तो झारखंड में कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में क्यों शामिल नहीं किया जा सकता।
नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही जानबूझकर कुड़मी समाज की मांगों को नजरअंदाज कर रही हैं।
कुड़मी समाज की मांग और आंदोलन का इतिहास
कुड़मी समाज का कहना है कि कुड़मी समुदाय का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार उन्हें आदिवासी दर्जा देने के लिए पर्याप्त है। उनका तर्क है कि कुड़माली भाषा एक जनजातीय भाषा है और विभिन्न शोधों एवं डीएनए टेस्ट में भी समुदाय की पहचान को आदिवासी समूहों से जोड़ा गया है।
नेताओं ने कहा कि सरकार और प्रशासन इस सच्चाई पर पर्दा डालकर वोट बैंक की राजनीति कर रही है।
पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारियों पर कार्रवाई
कुड़मी नेताओं ने यह भी बताया कि हाल ही में पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले में आंदोलन दबाने की कोशिश की गई, जहां कई कुड़मी नेताओं को जेल भेजा गया। आंदोलन कर रहे लोगों पर कार्रवाई होने से समाज में आक्रोश और बढ़ा है।
जमशेदपुर रैली से बढ़ेगा दबाव
कुड़मी संगठनों का मानना है कि 3 अक्टूबर की रैली से सरकार पर दबाव और बढ़ेगा। हजारों की संख्या में जुटने वाले लोग यह संदेश देंगे कि एसटी दर्जा की मांग अब और टाली नहीं जा सकती।
नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, लेकिन जब तक मांग पूरी नहीं होती तब तक इसे जारी रखा जाएगा।
