जमशेदपुर (झारखंड): झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई हटाने के निर्णय को तुगलकी फरमान करार दिया है। उन्होंने इस फैसले को छात्रों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ बताते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।

इंटर की पढ़ाई बंद करना छात्रों के भविष्य पर सीधा हमला – Kunal Sarangi

चर्चा का विषय बना यह निर्णय छात्रों और अभिभावकों में असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि, “कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई हटाना एक गैर-लोकतांत्रिक और अव्यावहारिक कदम है। इससे हजारों छात्रों की उच्च शिक्षा तक पहुंच प्रभावित होगी।”

केंद्र सरकार को निभानी चाहिए जिम्मेदारी: शिक्षा है समवर्ती विषय

षाड़ंगी ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी केवल राज्य सरकारों की है? जब शिक्षा Concurrent List (समवर्ती सूची) में शामिल है, तो केंद्र को भी अपनी भूमिका स्पष्ट रूप से निभानी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार चाहती है कि भारत का युवा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़े, तो उसे राज्य सरकारों के प्रयासों में भागीदार बनना होगा।

झारखंड सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था: हर 5 किमी में इंटर स्कूल

झारखंड सरकार ने इस फैसले के बाद हर पांच किलोमीटर के दायरे में इंटर स्कूल की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी जिलों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि यह एक तात्कालिक समाधान है, लेकिन इसे स्थायी और प्रभावशाली बनाना अनिवार्य है।

शिक्षा व्यवस्था पर केंद्र और राज्य दोनों की साझेदारी ज़रूरी

अपनी बात रखते हुए कुणाल षाड़ंगी ने दो टूक कहा कि “छात्रों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि एक मज़बूत और समावेशी शिक्षा व्यवस्था के लिए केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर काम करना होगा।

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