रांची : राजधानी रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने झारखंड के पूर्व मंत्री एनोस एक्का को आदिवासी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़े मामले में सात साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने न केवल एनोस एक्का, बल्कि उनकी पत्नी मेनन एक्का, तत्कालीन एलआरडीसी कार्तिक कुमार प्रभात और अन्य आरोपियों को भी दोषी मानते हुए सजा और जुर्माने का आदेश दिया।

CNT एक्ट उल्लंघन से जुड़ा 15 साल पुराना मामला

यह मामला सीएनटी एक्ट (Chotanagpur Tenancy Act) उल्लंघन से जुड़ा है। सीबीआई की जांच के अनुसार, मार्च 2006 से मई 2008 के बीच एनोस एक्का ने अपने पद का दुरुपयोग कर फर्जी पते के सहारे जमीन खरीदी। इनमें रांची के हिनू में 22 कट्ठा, ओरमांझी में 12 एकड़, नेवरी में 4 एकड़ और चुटिया के सिरम टोली मौजा में 9 डिसमिल जमीन शामिल है।

कानून के मुताबिक, आदिवासी जमीनों की खरीद-बिक्री केवल आदिवासियों के बीच ही हो सकती है, लेकिन अदालत ने पाया कि इस नियम को तोड़कर अवैध लेन-देन किया गया।

जुर्माना न देने पर अतिरिक्त सजा का प्रावधान

अदालत ने सभी दोषियों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। आदेश के अनुसार, यदि निर्धारित समय में जुर्माना अदा नहीं किया गया तो दोषियों को अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अदालत ने साफ कहा कि यह मामला सरकारी पद और शक्तियों के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण है।

कोर्ट में पेश सबूत और गवाह

सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान कई गवाहों और दस्तावेजी सबूतों को पेश किया गया। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि तत्कालीन एलआरडीसी कार्तिक कुमार प्रभात ने भी इस अवैध प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अदालत ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया।

सजा पर कानूनी हलचल तेज

पूर्व मंत्री को सजा मिलने के बाद झारखंड की राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला भूमि घोटाले के मामलों में एक बड़ा संदेश है।

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