रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में जल स्रोतों के संरक्षण और अतिक्रमण हटाने को लेकर गंभीर रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नगर विकास सचिव, जल संसाधन सचिव, रांची उपायुक्त और रांची नगर निगम के एडमिनिस्ट्रेटर को गुरुवार को सशरीर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

झारखंड हाईकोर्ट का सख्त रुख जल स्रोतों के संरक्षण पर

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम से यह जानकारी मांगी कि 18 अप्रैल 2023 के आदेश के बाद अब तक क्या कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाने, उनकी सफाई और संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाना आवश्यक है।

बड़ा तालाब, कांके डैम, धुर्वा डैम और गेतलसूद डैम की स्थिति पर सवाल

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि रांची के बड़ा तालाब की सफाई प्रभावी तरीके से नहीं हो रही है। इसके अलावा कांके डैम, धुर्वा डैम, गेतलसूद डैम और हरमू नदी के आसपास भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण मौजूद है। कोर्ट ने कहा कि इन जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करने और उनकी नियमित सफाई सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाने और सुरक्षा के निर्देश

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सभी जिलों में जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि दोबारा कोई अतिक्रमण न हो। साथ ही, जल स्रोतों में ठोस कचरा जाने से रोकने के लिए भी प्रभावी व्यवस्था की जाए।

टास्क फोर्स और स्टेटस रिपोर्ट पर भी चर्चा

अदालत ने जल स्रोतों के संरक्षण को लेकर गठित टास्क फोर्स की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जल संरक्षण, तालाबों की सफाई और डैम क्षेत्रों के विकास पर कार्य योजना का क्रियान्वयन जल्द से जल्द होना चाहिए।

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