रांची: झारखंड की राजनीति के दिग्गज नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन को अंतिम विदाई देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और आजसू पार्टी अध्यक्ष सुदेश महतो ने विशेष और भावनात्मक उदाहरण पेश किया। भारी भीड़ और ट्रेन की वजीरात (ट्रैफिक जाम) के कारण उनका वाहन रास्ते में फंस गया, लेकिन श्रद्धा की राह में कोई रुकावट नहीं लाई।

वाहन फंसा, बाइक से पहुंचे नेमरा गांव

दोनों नेताओं ने लगभग 7 किलोमीटर लंबा सफर बाइक पर तय किया। उन्हें पारिवारिक गांव नेमरा (रामगढ़ जिला) तक पहुंचना था, जहां गुरुजी का अंतिम संस्कार किया जा रहा था।

जैसे ही श्रध्दालुओं की भारी भीड़ एवं वाहनों की लंबी कतार बनी, अर्जुन मुंडा और सुदेश महतो का वाहन आगे नहीं बढ़ पाया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी—दोनों बाइक पर सवार होकर जाम को पार करते हुए अंतिम दर्शन तक की यात्रा पूरी की।

श्रद्धा के संभोग से बंधा जनसैलाब, सम्मान का संदेश

शिबू सोरेन की अंत्यदिकर यात्रा में नेमरा गांव में समर्थकों, आदिवासियों और राजनीतिक समर्थकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान अर्जुन मुंडा व सुदेश महतो का यह ऑफर मूलतः एक राजनीतिक बयान भी बन गया—जिसमें उन्होंने गुरुजी के प्रति निष्ठा, सम्मान और आदिवासी संघर्ष की भावना दर्शाई।

गुरुजी की विरासत: आदिवासी अधिकार और सामाजिक न्याय

नेताओं ने कहा कि शिबू सोरेन के विचार, उनका संघर्ष और आदिवासी समाज के लिए उनका समर्पण आज भी लोगों की प्रेरणा है। उन्होंने कहा:

“राजनीति से ऊपर रिश्ता होता है—संघर्ष, आदर्श और सम्मान का।”

यह यात्रा इसका प्रतीक बनी।

नेमरा में जुटा जनसैलाब, प्रशासन ने संभाली व्यवस्था

नेमरा गांव में अंतिम संस्कार के समय हजारों लोग मौजूद थे। भारी संख्या के चलते प्रशासन को ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लेकिन अर्जुन मुंडा और सुदेश महतो का बाइक सफर उस दिन चर्चा का विषय बन गया, जो भावुकता और श्रद्धा से जुड़ा था।

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