रांची : झारखंड सरकार ने विकास योजनाओं और औद्योगिक परियोजनाओं से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और अधिकारों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने विस्थापन आयोग (Displacement Commission Jharkhand) के गठन संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है।

आयोग विशेष रूप से उन परियोजनाओं की निगरानी करेगा, जिनमें भूमि अधिग्रहण और विस्थापन की स्थिति उत्पन्न होती है। इसका मुख्य उद्देश्य विस्थापित परिवारों की समस्याओं का समाधान, मुआवजा वितरण की पारदर्शिता और पुनर्वास नीति के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना है।

आयोग की संरचना

जारी अधिसूचना के अनुसार, आयोग में एक अध्यक्ष, दो सदस्य और संबंधित विभागों के नामित अधिकारी शामिल होंगे। अध्यक्ष के पद पर राज्य सरकार द्वारा नामित वरिष्ठ पदाधिकारी या सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी नियुक्त किए जा सकते हैं।

आयोग की जिम्मेदारियां

आयोग को कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जिनमें शामिल हैं —

  • विस्थापित परिवारों की पहचान और सत्यापन : प्रभावित परिवारों की सूची का परीक्षण कर उन्हें मुआवजा और पुनर्वास का लाभ दिलाना।
  • मुआवजा और पुनर्वास पैकेज की समीक्षा : यह सुनिश्चित करना कि सभी परियोजनाओं के तहत प्रभावित परिवारों को समयबद्ध और न्यायसंगत मुआवजा मिले।
  • आजीविका के विकल्प : विस्थापित परिवारों के लिए रोजगार, कौशल विकास और स्थायी आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना।
  • नीति सुधार पर सुझाव : सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट और सिफारिशें भेजना ताकि विस्थापन से जुड़े नियम अधिक पारदर्शी और मानवीय बन सकें।
  • जन-सुनवाई और शिकायत निवारण : प्रभावित परिवार सीधे आयोग के समक्ष अपनी शिकायतें और समस्याएं रख सकेंगे।

क्यों है आयोग महत्वपूर्ण?

विशेषज्ञों के अनुसार, झारखंड में बड़े पैमाने पर खनन, औद्योगिक और आधारभूत परियोजनाओं के चलते हजारों परिवार विस्थापित होते रहे हैं। ऐसे में यह आयोग प्रभावित परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। यह कदम राज्य सरकार की पुनर्वास नीति, भूमि सुधार और विस्थापन प्रबंधन को सुदृढ़ करेगा।

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