रांची: झारखंड हाईकोर्ट में 11वीं जेपीएससी (JPSC) परीक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया हाईकोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ में हुई।

JPSC अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई

याचिका दायर करने वाले 54 अभ्यर्थियों में राजेश प्रसाद सहित वे सभी उम्मीदवार शामिल हैं जो प्रारंभिक परीक्षा (Pre Exam) पास कर गए थे, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains Exam) में असफल रहे। अभ्यर्थियों ने अपनी याचिका में मेरिट लिस्ट को रद्द करने और आंसर शीट की पुनः जांच (Re-evaluation of Answer Sheets) की मांग की है।

कोर्ट ने आयोग को दिए निर्देश

सुनवाई के दौरान अदालत ने जेपीएससी (Jharkhand Public Service Commission) की ओर से उपस्थित अधिवक्ता से कहा कि यदि अगली सुनवाई तक आयोग काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं करता है, तो उसे आगे मौका नहीं दिया जाएगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अंतिम निर्णय आने तक नियुक्ति प्रक्रिया अदालत के आदेश पर निर्भर करेगी।

विज्ञापन और नियुक्ति प्रक्रिया का विवाद

गौरतलब है कि पिछले वर्ष जेपीएससी ने विज्ञापन संख्या 01/2024 के तहत परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं और 370 पदों पर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रही और मेरिट लिस्ट पर सवाल खड़े किए गए हैं।

अभ्यर्थियों की ओर से बहस

अभ्यर्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता कुमार हर्ष ने अदालत में बहस की। उनका तर्क था कि आयोग ने मूल्यांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी की है, जिसके कारण कई योग्य अभ्यर्थी वंचित हो गए। उन्होंने अदालत से मेरिट लिस्ट को निरस्त करने और आंसर शीट की दोबारा जांच की व्यवस्था लागू करने की अपील की।

JPSC भर्ती प्रक्रिया पर नजर

जेपीएससी की इस परीक्षा को लेकर पहले से ही विवाद रहा है। उम्मीदवारों का मानना है कि अगर अदालत उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय देती है तो इससे न केवल मौजूदा भर्ती बल्कि आयोग की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ेगा। वहीं, अदालत ने यह साफ कर दिया है कि नियुक्तियां अंतिम आदेश के आधार पर ही होंगी, जिससे हजारों अभ्यर्थियों की निगाहें इस मामले पर टिकी हुई हैं।

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