रांची: झारखंड सरकार के बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर आईएनडीआईए गठबंधन के भीतर चर्चा तेज हो गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तय छह-चार-एक फॉर्मूले के बावजूद मंत्रियों के नामों की घोषणा में देरी हो रही है। उम्मीद की जा रही है कि 9 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा।

कांग्रेस आलाकमान की आज अहम बैठक

कांग्रेस ने मंत्रियों के चयन के लिए दिल्ली में अहम बैठक बुलाई है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो समेत वरिष्ठ नेता संभावित मंत्रियों और विधायक दल के नेता व उपनेता के नामों पर चर्चा करेंगे। आलाकमान से मंजूरी मिलने के बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी।

कांग्रेस की नई रणनीति

इस बार कांग्रेस जातीय समीकरण और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का संतुलन साधने की कोशिश कर रही है। चार मंत्रियों के चयन के साथ, विधायक दल के नेता को मंत्रिमंडल से अलग रखने की योजना पर विचार किया जा रहा है। इस निर्णय से पार्टी के भीतर असंतोष को कम करने और संतुलित नेतृत्व सुनिश्चित करने की उम्मीद है।

दिल्ली में विधायकों की जोर-आजमाइश

कांग्रेस के कई विधायक दिल्ली में अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुटे हैं। अनुभव, क्षेत्रीय महत्व, और जातीय समीकरणों के आधार पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। महिला विधायक भी इस बार मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए प्रयासरत हैं।

झामुमो के संभावित मंत्री

झामुमो ने अपने संभावित मंत्रियों के नाम लगभग तय कर लिए हैं।

  • कोल्हान प्रमंडल से रामदास सोरेन, दीपक बिरुआ, और सविता महतो।
  • संताल प्रमंडल से राजमहल के विधायक एमटी राजा।
  • पलामू प्रमंडल से भवनाथपुर के विधायक अनंत प्रताप देव का नाम चर्चा में है।

क्या है मंत्रिमंडल विस्तार की अहमियत?

मंत्रिमंडल का विस्तार गठबंधन के भीतर शक्ति संतुलन को बनाए रखने और आगामी विधानसभा सत्र में सरकार की मजबूती दिखाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने में भी मदद मिलेगी।

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