रांची: झारखंड में महिलाओं और बच्चों के पोषण एवं शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्य के 17 जिलों में 159 नए आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की मंजूरी दी है। इनमें सबसे अधिक केंद्र गोड्डा और पाकुड़ जिलों में स्थापित किए जाएंगे।
गोड्डा और पाकुड़ में सर्वाधिक आंगनबाड़ी केंद्र
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गोड्डा जिले में 45 आंगनबाड़ी केंद्र और पाकुड़ में 43 केंद्र बनेंगे। शेष केंद्र रांची, दुमका, साहिबगंज, देवघर, गुमला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, लातेहार, गढ़वा, गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो, लोहरदगा और खूंटी जिलों में स्थापित होंगे।
वर्तमान में 38,798 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित
वर्तमान समय में झारखंड में कुल 38,798 आंगनबाड़ी केंद्र सक्रिय हैं। इन केंद्रों के माध्यम से छह वर्ष तक के बच्चों, महिलाओं और किशोरियों को पोषण, स्वास्थ्य सुविधाएं और प्रारंभिक शिक्षा प्रदान की जाती है।
भवन निर्माण और संचालन पर होगा करोड़ों का खर्च
इन 159 नए आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण पर लगभग 19 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वहीं, संचालन और रखरखाव पर हर साल करीब 17 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें 60% राशि केंद्र सरकार और 40% राशि राज्य सरकार वहन करेगी।
पीएम जनमन योजना और धरती आबा अभियान के तहत निर्माण
स्वीकृत केंद्रों में से 109 आंगनबाड़ी केंद्र प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम जनमन योजना) के तहत बनेंगे। ये केंद्र विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) वाले जिलों में स्थापित किए जाएंगे।
दूसरी ओर, 50 आंगनबाड़ी केंद्र धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत बनाए जाएंगे। ये जिले मुख्य रूप से आदिवासी बहुल आबादी वाले क्षेत्र हैं।
जिलोंवार नए आंगनबाड़ी केंद्र
- पाकुड़ – 43
- गोड्डा – 45 (36 जनमन योजना + 9 धरती आबा अभियान)
- साहेबगंज – 15
- गुमला – 8
- पूर्वी सिंहभूम – 8
- पश्चिम सिंहभूम – 5
- देवघर – 6
- दुमका – 5
- लातेहार – 4
- रांची – 3
- गढ़वा – 2
- गिरिडीह – 7
- बोकारो – 1
- हजारीबाग – 1
- लोहरदगा – 1
- खूंटी – 1
पोषण और शिक्षा मिशन को मिलेगा बल
सरकार का उद्देश्य है कि इन नए आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में बच्चों और महिलाओं को बेहतर पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा का आधार उपलब्ध कराया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ग्रामीण इलाकों में कुपोषण और शिक्षा की चुनौतियों को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी।
