रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर न केवल एक राजनीतिक विचारक थे, बल्कि समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों की आवाज भी थे। उनके सिद्धांतों और योगदान को उचित सम्मान देने के लिए झारखंड सरकार को हर वर्ष जयंती और पुण्यतिथि पर राजकीय कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए।
कर्पूरी ठाकुर जयंती पर राजकीय अवकाश की मांग तेज
बंधु तिर्की का कहना है कि कर्पूरी ठाकुर का जीवन सामाजिक न्याय, शिक्षा सुधार और आर्थिक समानता के लिए समर्पित था। वे पिछड़े और शोषित समाज के लिए लगातार संघर्षरत रहे। इसीलिए उनकी जयंती पर सरकारी अवकाश घोषित करना, सामाजिक समरसता और प्रेरणा के रूप में कार्य करेगा।
झारखंड में ‘केश कला बोर्ड’ के गठन की अपील
बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से ‘केश कला बोर्ड’ के गठन की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि नाई समाज झारखंड के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। बावजूद इसके, इस समुदाय को अपेक्षित पहचान और सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। उन्होंने कहा कि नाई समाज की संरचना, पहचान और पेशागत सम्मान के लिए यह बोर्ड आवश्यक है।
नाई जाति को अनुसूचित जाति (SC) में शामिल करने की सिफारिश
पूर्व मंत्री ने झारखंड सरकार से आग्रह किया कि नाई जाति को OBC से हटाकर SC में शामिल किया जाए। साथ ही उन्होंने मांग की कि नाई समाज को CNT एक्ट 1908 से मुक्त कर भूमि के व्यवसायिक उपयोग, बैंक लोन की सुविधा और सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए। इससे इस समुदाय को सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण मिलेगा।
‘कर्पूरी भवन’ की स्थापना की भी मांग
बंधु तिर्की ने सुझाव दिया कि प्रत्येक प्रखंड और मंडल स्तर पर ‘कर्पूरी भवन’ का निर्माण कराया जाए। ये भवन न केवल सामाजिक समरसता के प्रतीक होंगे, बल्कि वहां सामुदायिक सभाएं, रोजगार प्रशिक्षण और शिक्षा से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा सकेगा। इसके साथ ही उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति और सब्सिडी की व्यवस्था करने पर भी बल दिया गया।
रांची में बढ़ी कर्पूरी ठाकुर को राजकीय सम्मान देने की मांग
झारखंड की राजधानी रांची से उठी इस मांग ने राजनीतिक हलचलों को गति दी है। बंधु तिर्की की मांगें न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक सशक्त पहल भी मानी जा रही है। कर्पूरी ठाकुर को राजकीय अवकाश के रूप में सम्मानित करने की मांग राज्य भर में तेजी से गूंज रही है।