रांची: झारखंड की राजधानी रांची के उपायुक्त और आईएएस अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दाखिल की है। उन्होंने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें चुनावी कार्यों से दूर रखने और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया था।
मामला क्या है?
झारखंड हाईकोर्ट ने 22 सितंबर को आदेश जारी करते हुए मंजूनाथ भजंत्री को चुनावी कार्यों से अलग रखने का निर्देश दिया था। यह फैसला विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के अनुपालन के संदर्भ में लिया गया था।
- इसके बाद, उन्हें रांची डीसी के पद से हटा दिया गया और उनके स्थान पर वरुण रंजन को रांची का नया डीसी नियुक्त किया गया।
- हालांकि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण के बाद, राज्य सरकार ने मंजूनाथ भजंत्री को दोबारा रांची डीसी के पद पर बहाल कर दिया।
- उन्होंने हाल ही में शुक्रवार को अपने पद का कार्यभार संभाला है।
हाईकोर्ट के आदेश का संदर्भ
हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार:
- विभागीय कार्रवाई: मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का निर्देश दिया गया।
- चुनावी कार्य से अलगाव: चुनावी प्रक्रियाओं से उन्हें अलग रखा गया।
सुप्रीम कोर्ट में अपील
मंजूनाथ भजंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के इस आदेश को रद्द करने की मांग की है। उनका तर्क है कि यह आदेश उनकी प्रशासनिक जिम्मेदारियों को बाधित करता है और इससे उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
वर्तमान स्थिति
- सुप्रीम कोर्ट में दाखिल उनकी याचिका अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई है।
- मंजूनाथ भजंत्री ने तुरंत राहत के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली है, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई को रोका जा सके।
यह मामला झारखंड प्रशासनिक ढांचे और चुनावी प्रक्रिया के लिए अहम साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का न केवल मंजूनाथ भजंत्री के भविष्य पर, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया और आचार संहिता लागू करने के तरीकों पर भी प्रभाव पड़ेगा।