Jamshedpur : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओलचिकी लिपि के शताब्दी समारोह में संथाली भाषा में गीत गाकर उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया. “जोहार” से शुरू हुए उनके संबोधन और मधुर गीत ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया. राष्ट्रपति की इस आत्मीय प्रस्तुति पर पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मौजूद रहे और उन्होंने पूरे मनोयोग से राष्ट्रपति का गीत सुना. गीत समाप्त होते ही मुख्यमंत्री ने तालियां बजाकर राष्ट्रपति का अभिनंदन किया. इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जमशेदपुर स्थित जाहेर थान पहुंचीं, जहां उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना की. इस अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उनके साथ मौजूद थे.

राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुए ये लोग

राष्ट्रपति ने ओलचिकी भाषा और संथाली संस्कृति के संरक्षण में योगदान देने वाले कई लोगों को प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया। इनमें —
मुचीराम हेंब्रम, शोभानाथ बेसरा, दमयंती बेसरा, रामदास मुर्मू, भीम मुर्मू, छोटराय बास्के, निरंजन हांसदा, बीबी सुंदररमण, सौरभ राय, शिवशंकर कांडयान और सीआर माझी शामिल हैं।

कार्यक्रम की प्रमुख बातें

  • राष्ट्रपति ने युवाओं से अपनी मातृभाषा और संस्कृति को सहेजने की अपील की।
  • पंडित रघुनाथ मुर्मू के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
  • ओलचिकी भाषा को आगे बढ़ाने वाले 11 लोगों को सम्मानित किया गया।
  • राज्यपाल ने कार्यक्रम को जनजातीय समाज की संस्कृति और अस्मिता का उत्सव बताया।

राष्ट्रपति का यह संबोधन और सांस्कृतिक सहभागिता जनजातीय समाज के लिए गर्व का क्षण बन गया।

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