Ranchi News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया (Suspected Infiltration Review) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब आम जनता को इस प्रक्रिया से कोई दिक्कत नहीं है, तो फिर केवल कुछ नेताओं को ही परेशानी क्यों हो रही है।

चंपाई सोरेन का SIR प्रक्रिया पर सवाल

चंपाई सोरेन ने लिखा कि बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान करीब 35 लाख नाम हटाए जाने की बात सामने आ रही है, लेकिन अब तक 35 लोग भी सार्वजनिक तौर पर शिकायत दर्ज कराने नहीं आए। उन्होंने कहा कि जिनके नाम हटे हैं, वे अपनी वास्तविकता जानते हैं।

बिहार SIR और नेताओं की आपत्ति

पूर्व मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि अगर आम लोगों को कोई आपत्ति नहीं है, तो सिर्फ “2-4 नेताओं” को परेशानी क्यों हो रही है। क्या ये नेता चुनाव में विदेशी घुसपैठियों या रोहिंग्या वोटरों पर भरोसा कर रहे थे? उनके इस बयान को लेकर बिहार और झारखंड की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है।

झारखंड में भी SIR की जरूरत पर जोर

चंपाई सोरेन ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड में भी SIR प्रक्रिया लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से मतदाता सूची की शुद्धता बनी रहेगी और अवैध घुसपैठ पर रोक लगेगी।

क्या है SIR प्रक्रिया?

SIR (Suspected Infiltration Review) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें मतदाता सूची की गहन जांच की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि विदेशी नागरिक या अवैध घुसपैठिए मतदाता सूची में शामिल न हों।
बिहार में यह प्रक्रिया हाल के दिनों में चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने के दावे सामने आ रहे हैं।

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