रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर के बाद पूरे राज्य में शोक की गहरी लहर दौड़ गई है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन को झारखंड की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।
राज्यभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम, अधिकारियों और कर्मचारियों ने दी अंतिम विदाई

शिबू सोरेन के निधन पर समाहरणालय परिसर और सिविल सर्जन कार्यालय में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। समाहरणालय में वरीय पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों ने दो मिनट का मौन रखकर दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि दी और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस दौरान सभी अधिकारी भावुक नजर आए।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से शोक सभा का आयोजन
सिविल सर्जन कार्यालय में भी सभी चिकित्सकों, नर्सों और कर्मियों ने एकत्र होकर शिबू सोरेन के योगदान को याद किया। उनके आदिवासी समाज और झारखंड राज्य के लिए किए गए संघर्षों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। चिकित्सा पदाधिकारी ने उनके राजनीतिक जीवन और सामाजिक समर्पण को प्रेरणास्रोत बताया।
रांची नगर निगम में भी हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम
रांची नगर निगम सभागार में भी एक शोक सभा का आयोजन हुआ, जिसमें महापौर, उपमहापौर, आयुक्त सहित निगमकर्मियों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। झारखंड सरकार द्वारा घोषित तीन दिवसीय राजकीय शोक के तहत निगम कार्यालय को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
झारखंड के राजनीतिक इतिहास में शिबू सोरेन की भूमिका
शिबू सोरेन आठ बार लोकसभा सांसद और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने झारखंड आंदोलन को संगठित रूप से आगे बढ़ाया और आदिवासी अधिकारों, जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष किया। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी उन्होंने झारखंड के हितों को सर्वोपरि रखा।
राज्यभर में जारी श्रद्धांजलियों का सिलसिला
शिबू सोरेन को दिशोम गुरु की उपाधि से नवाजा गया था, जिसका अर्थ है ‘देश का गुरु’। उनके निधन के बाद झारखंड के सभी जिलों में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जा रही हैं। आम जनता से लेकर प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक दलों के नेता सभी उनके योगदान को याद कर रहे हैं।
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