Ranchi: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने सूर्या हांसदा के देवघर एनकाउंटर और उनके परिवार के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि संथाल परगना में खनन माफिया और कुछ विशेष समूहों के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सरकारी तंत्र की मदद से खामोश किया जा रहा है।
सूर्या हांसदा के एनकाउंटर पर सवाल
चंपाई सोरेन ने कहा कि चार बार चुनाव लड़ चुके सूर्या हांसदा की पत्नी ने गिरफ्तारी के तुरंत बाद जो आशंका जताई थी, गोड्डा पहुंचते-पहुंचते वह सत्य साबित हो गई। उन्होंने सरकार और पुलिस पर अपराधियों के पक्ष में हस्तक्षेप और आदिवासियों के खिलाफ दमन का आरोप लगाया।
पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल
पूर्व सीएम ने पुलिस की कार्रवाई पर कई गंभीर सवाल उठाए:
- हथकड़ी में बंद बीमार व्यक्ति ने पुलिस पर कैसे और कितनी गोलियां चलाईं?
- देवघर से गोड्डा जाते समय आरोपी की स्थिति में अचानक बदलाव क्यों हुआ?
- पुलिस की गोलियां आरोपी के पैरों की बजाय सीने पर क्यों लगीं?
- आधी रात को जंगल में ले जाने की बजाय सुबह इंतजार क्यों नहीं किया गया?
- अगर कोई गिरोह पुलिस पर हमला कर रहा था, तो उनमें से किसी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
चंपाई सोरेन ने कहा कि जब पुलिस स्वयं साजिश में शामिल दिखती है, तो न्याय की मूल अवधारणा ही प्रभावित होती है।
आदिवासियों और न्याय की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि झारखंड में आदिवासियों के अधिकार और आवाज को दबाने की प्रवृत्ति खतरनाक है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सीबीआई जांच जरूरी है ताकि सच्चाई सामने आए और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।
राजनीतिक पक्षपात और सरकारी संरक्षण
चंपाई सोरेन ने कहा कि अगर अपराधी किसी विशेष समुदाय से जुड़े हैं, तो सरकार के मंत्री उनके परिवार को न केवल राजनीतिक संरक्षण, बल्कि नौकरी का भी प्रबंध कर देते हैं। जबकि आदिवासी पीड़ितों और उनके परिवारों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है।